नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को अपने 7 लोक कल्याण मार्ग स्थित आवास पर महान तमिल कवि और स्वतंत्रता सेनानी सुब्रमण्य भारती की संपूर्ण रचनाओं के संग्रह का विमोचन किया। उनके संपूर्ण कार्यों का 23 खंडों का संग्रह सीनी विश्वनाथन द्वारा संकलित और संपादित किया गया है और एलायंस पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित किया गया है। इसमें सुब्रमण्य भारती के लेखन के संस्करणों, स्पष्टीकरणों, दस्तावेजों, पृष्ठभूमि की जानकारी और दार्शनिक प्रस्तुति आदि का विवरण शामिल है।
इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महाकवि सुब्रमण्यम भारती की रचनाओं के संकलन का विमोचन करते हुए वह गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समृद्ध भारत और प्रत्येक व्यक्ति के सशक्तीकरण के लिए सुब्रमण्य भारती का दृष्टिकोण पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह संग्रह शोधार्थियों के लिए बहुत मददगार साबित होगा। सुब्रमण्य भारती की ‘गीता’ में गहरी आस्था थी। उन्हें ‘गीता’ की गहरी समझ थी। उन्होंने ‘गीता’ का तमिल भाषा में अनुवाद किया और इसे सरल तरीके से समझाया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में शब्दों को केवल अभिव्यक्ति ही नहीं माना गया है। हम उस संस्कृति का हिस्सा हैं, जो ‘शब्द ब्रह्म’ की बात करती है, शब्द के असीम सामर्थ्य की बात करती है।
उन्होंने कहा कि आज देश महाकवि सुब्रमण्य भारती की जयंती मना रहा है। आज भारत की संस्कृति और साहित्य के लिए भारत के स्वतंत्रता संग्राम की स्मृतियों के लिए और तमिलनाडु के गौरव के लिए बहुत बड़ा अवसर है। महाकवि सुब्रमण्य भारती के कार्यों का, उनकी रचनाओं का प्रकाशन एक बहुत बड़ा सेवायज्ञ और बहुत बड़ी साधना है और आज उसकी पूर्णाहुति हो रही है।
उन्होंने कहा कि सुब्रमण्य भारती ऐसे महान मनीषी थे, जो देश की आवश्यकताओं को देखते हुए काम करते थे। उनका विजन बहुत व्यापक था। उन्होंने हर उस दिशा में काम किया, जिसकी जरूरत उस कालखंड में देश को थी। भारतियार (सुब्रमण्य भारती) केवल तमिलनाडु और तमिल भाषा की ही धरोहर नहीं हैं, वो एक ऐसे विचारक थे, जिनकी हर सांस मां भारती की सेवा के लिए समर्पित थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने भारतियार को केवल तमिल नहीं बल्कि संपूर्ण भारत की धरोहर बताया और कहा कि सुब्रमण्य भारती मां भारती की सेवा के लिए समर्पित एक गहन विचारक थे। 2020 में महामारी के बावजूद हमने सुब्रमण्य भारती की 100वीं पुण्यतिथि मनाई।