फिल्म ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ को रिलीज़ हुए 21 साल हो गए हैं, लेकिन इसका जादू आज भी वैसा ही कायम है। राजकुमार हिरानी की इस फिल्म ने हंसी, भावनाओं और गहरे सामाजिक संदेशों के साथ पारंपरिक कहानी कहने के तरीके को बदल दिया थ। मुन्ना का गैंगस्टर से मेडिकल स्टूडेंट बनने का सफर सिर्फ हंसी का नहीं था, बल्कि इसने हमें ज़िंदगी, रिश्तों और असली महत्व की बातें भी सिखाई हैं। इसके अलावा भी कई ऐसे कारण हैं कि ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ दो दशक बाद भी दर्शकों के दिलों को छू रही है।मुन्ना भाई की कमियां उसे हमारे जैसा बनाती हैं और ये दिखाती हैं कि हीरो को प्यार करने और असरदार होने के लिए परफेक्ट होने की ज़रूरत नहीं होती। फिल्म का ह्यूमर ऐसे हालातों से आता है, जो हम सभी ने कभी न कभी महसूस किए हैं, जिससे ये फिल्म टाइमलेस बनने के साथ, आज भी सभी को पसंद आती है। ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ फिल्म से सबक मिलता है कि डिग्री से ज्यादा कीमती सहानुभूति होती है। मुन्ना की यात्रा यह सिखाती है कि असली सफलता दूसरों से जुड़ने में है, न कि सिर्फ औपचारिक डिग्रियों में।
फिल्म में मुन्ना और सर्किट की दोस्ती बिना किसी शर्त समर्थन देने की भावना को प्रदर्शित करती है। फिल्म समाज के पारंपरिक रास्तों को अपनाने के दबाव पर सवाल उठाती है और अपनी खुद की राह चुनने की अहमियत दिखाती है। फिल्म में मुन्ना का अपने पिता के साथ रिश्ता काफी नज़दीकी और गहरा दिखा गया है, जाे इस बात का संदेश देता है कि प्यार हमेशा शब्दों में नहीं जताया जाता। मुन्ना का अच्छा रवैया और मुश्किल हालात में उसकी सहनशीलता हमेशा प्रेरणा देती है। राजकुमार हिरानी की हंसी और असली इमोशन को संतुलित करने की क्षमता फिल्म को एक गहराई देती है, जो सालों बाद भी दिल को छूती है। फिल्म यह सिखाती है कि विकास का मतलब केवल परफेक्ट होना नहीं है, बल्कि अपनी कमियों से सीखना और खुद में सुधार लाना है।
हिरानी के शानदार डायरेक्शन ने हर सीन को, चाहे वह मजाकिया हो या इमोशनल, ऐसा बना दिया है कि वह आज भी लोगो के दिलों में गहरी छाप छोड़े हुए है। यह फिल्म शिक्षा, सामाजिक अपेक्षाओं और मानसिक स्वास्थ्य जैसे गंभीर मुद्दों को संवेदनशीलता और हंसी के साथ उठाती है।