किडनी बीमारी के लक्षण दिखे तो तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श लीजिए, क्योंकि यदि निदान और उपचार जल्दी हो जाए, तो आपके स्वस्थ जीवन जीने की संभावना बढ़ जाएगी। ऐसे प्रमाण मिले हैं कि दुनिया की लगभग 10 प्रतिशत आबादी किडनी डैमेज और क्रोनिक किडनी बीमारी से पीड़ित हैं। अगर इसे समय रहते निदान या उपचार नहीं मिला, तो किडनी फेलियर का सामना करना पड़ सकता है। वैसे किडनी की बीमारी का मुख्य कारण डाइबिटीज, हाइपरटेंशन, मोटापा, और हाई ब्लड प्रेशर है। इसके अलावा 50 साल की उम्र के ऊपर के लोगों में यह रोग आम है। इसके अलावा व्यायाम न करना, पेन किलर का ज्यादा इस्तेमाल करना, हर्बल मेडिसिन, पेस्टिसाइड का ज्यादा एक्सपोजर आदि से भी किडनी प्रभावित होती हैं।
किडनी रोग के लक्षण
बीमारी कोई सी भी हो अगर शुरुआत में उसके लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो संभव है कि ज्यादा नुकसान नहीं होगा। उसी तरह किडनी फेलियर से बचने के लिए यह जरूरी है कि उसके खराब होने के संकेतों को पहचाना जाए। अगर सोते समय बार-बार पेशाब हो, शरीर, चेहरे और पैर में सूजन हो या पेशाब में खून आ रहा हो तो यह संकेत है कि आपको किडनी का रोग है। यही नहीं, किडनी बीमारी ह्रदय रोग के खतरे को बढ़ा सकती है। यदि यूरिन में प्रोटीन का पता चलता है और सीरम क्रिएटिनिन वैल्यू में वृद्धि होती है, तो किडनी बीमारी पता शुरुआती चरण में लगाया जा सकता है। ये टेस्ट पैथोलॉजिकल लैब में होता है और इसके लिए फिल्ट्रेशन रेट को कैल्कुलेट किया जाता है, तब पता चलता है कि आपकी किडनी कितना काम कर रही है या नहीं।
किडनी फेलियर पर क्या कहता है डाटा
भारत में किडनी बीमारी का प्रसार लगभग 17.2 प्रतिशत है। यह बीमारी डायबिटीज और हाइपरटेंशन की तरह लगातार फैल रही है। पूरे विश्व में लगभग 850 मिलियन लोग किडनी बीमारी के शिकार हैं। बीमारी से होने वाली मौतों के टॉप 10 कारणों में से क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) एक है। इससे प्रति वर्ष 2.4 मिलियन से अधिक मौतें होती हैं। एक्यूट किडनी इंजरी (AKI) एक रिवर्सिबल किडनी फेलियर का एक महत्वपूर्ण कारण है। पूरे विश्व में AKI के 13 मिलियन से ज्यादा केस है, जिसमें से 85 फीसदी से ज्यादा विकसित देशों में देखे गए हैं। एक्यूट किडनी इंजरी की वजह से पूरे विश्व में 1.7 मिलियन मृत्यु होती है। एक्यूट किडनी इंजरी की वजह से रेसिडुअल किडनी डैमेज और क्रोनिक किडनी डिजीज हो सकता है।
किडनी बीमारी से कैसे बचें
किडनी बीमारी से बचने के लिए कुछ बातों पर जरूर ध्यान देना चाहिए जैसे स्वस्थ जीवनशैली को अपनाएं, नियमित रूप से व्यायाम करें, ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखें, जंक फूड और ऑइली फूड से दूरी बनाएं, मोटापा कम करें और शराब व् तंबाकू के सेवन से बचें। इसके अलावा पेनकिलर्स और नुकसान पहुंचाने वाले खाद्य पदार्थों से भी बचें।
किडनी फेलियर का इलाज
किडनी फेलियर में मुख्य रूप से दो इलाज है – डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट। मेदांता लखनऊ में किडनी बीमारी के समय मरीज का विस्तृत उपचार किया जाता है।
इसमें किडनी डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट शामिल है। यही नहीं, ईवनिंग क्लिनिक के साथ आउट पेशेंट नेफ्रोलॉजी सर्विस के लिए भी डायलिसिस सर्विस, ट्रांसप्लांट और गहन देखभाल नेफ्रोलॉजी दी जाती है, वो भी एक ही छत के नीचे।
डायलिसिस सर्विस में हेमोडायफिल्ट्रेशन के साथ हेमोडायलिसिस और अल्ट्रा-प्योर डायलिसिस वॉटर का उपयोग शामिल है। पेरिटोनियल डायलिसिस (पीडी) के लिए घर के माहौल में मैनुअल और ऑटोमेटिव मशीन-आधारित साइक्लर का उपयोग किया जाता है। वहीं, इंटेंसिव केयर नेफ्रोलॉजी सर्विस में लगातार रेनल इप्लेसमेंट थैरिपी शामिल है। यह सर्विस वेंटिलेटर पर ICU और कम बीपी वाले मरीजों को एंटी-कोगुलेशन के साथ और उसके बिना भी दी जाती है।
किडनी ट्रांसप्लांट और ट्रांसप्लांट इम्यूनोजेनेटिक विंग ऑफ नेफ्रोलॉजी प्री-ट्रांसप्लांट डोनर टू रिसीपिएंट मैचिंग सहित कंप्रिहेंसिव ट्रांसप्लांट सेवाएं प्रदान करती है। यह नेफ्रोलॉजी और ट्रांसप्लांट सेवाओं के हिस्से के रूप में इनवाउस HLA और इम्यूनोजेनेलिक सेवा द्वारा किया जाता है। HLA लैब किडनी डोनर और किडनी प्राप्तकर्ता के बीच मैचिंग करता है। दाता और प्राप्तकर्ता के बीच क्रॉस मैचिंग (एंटी-HLA एंटी-बॉडी टेस्टिंग, क्रॉस मैचिंग, सिंगल एंटीजन बीड एसे, लाइसेट क्रॉस मैचिंग) किडनी ट्रांसप्लांट की योजना बनाने और अस्वीकृति के जोखिम का आकलन करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
ट्रांसप्लांट सर्विस उन रोगियों को भी किडनी सर्विस की सुविधा प्रदान करती है, जहां डोनर और पेशेंट का रक्त समूह मेल नहीं खाता है या यदि रोगी दूसरे या तीसरे किडनी सर्विस के लिए जा रहा है। ऐसे रोगियों को हानिकारक एंटीबॉडी हटाने के लिए इम्यून-अब्सॉर्प्शन कॉलम के उपयोग के साथ-साथ अधिक कठोर इम्यूनोसप्रेशन की आवश्यकता होती है। इन-हाउस नेफ्रोलॉजी HLA लैब एंटी HLA एंटीबॉडी की निगरानी के लिए प्रदान करती है। ABO ब्लड ग्रुप के लिए डिसेंसिलाइजेशन की उपलब्धता कई रोगियों को किडनी ट्रांसप्लांट से गुजरने में मदद करती है। दो परिवारों के बीच किडनी पेयर एक्सचेंज या डोनर स्वैप की उपलब्धता भी रोगियों की मदद करती है, जो किडनी ट्रांसप्लांट के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। NOTTO – (ब्रेन डेड डोनर्स से अंग साझा करने का नेटवर्क) के अनुसार मेदांता ब्रेन डेड डोनर ट्रांसप्लांट में भाग लेने के लिए भी उत्सुक है।
हाल ही में नेफ्रोलॉजी डायलिसिस सेवाओं का विस्तार हार्ट फेलियर के रोगियों, एक्वा फेरेसिस सिस्टम द्वारा कार्डियो-रीनल सिंड्रोम वाले रोगियों में तरल पदार्थ निकालने के लिए किया गया है। इससे हृदय और किडनी की समस्याओं वाले रोगियों के प्रबंधन में मदद मिलेगी। कुल मिलाकर शीघ्र निदान और किडनी के स्वास्थ्य को बढ़ावा देकर किडनी की बीमारियों को रोकने की आवश्यकता है। किडनी की बीमारी का उपचार जल्दी शुरू करना चाहिए, ताकि किडनी फेलियर की प्रगति को धीमा किया जा सके। एडवांस किडनी फेलियर वाले रोगियों के लिए, डायलिसिस की व्यापक देखभाल – किडनी के कार्य को बेहतर करने के लिए ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है।