उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने प्रदेश में इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सोमवार को चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लखनऊ से लखीमपुर जिले में स्थित दुधवा नेशनल पार्क के लिए वायुयान सेवा का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर प्रदेश के वन पर्यावरण एवं जलवायु मंत्री डा. अरूण कुमार सक्सेना, मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी,प्रमुख सचिव संस्कृति विभाग मुकेश मेश्राम सहित वन विभाग व संस्कृति विभाग के प्रमुख अधिकारी उपस्थित रहे।
लखनऊ से दुधवा के लिए हेली सर्विस का आनंद लेने के इच्छुक प्रति सैलानी के लिए किराया करीब पांच हजार रुपए निर्धारित किया गया है।
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह एवं वन मंत्री डा.अरूण सक्सेना वायुयान से ही दुधवा के लिए उड़ान भरी है।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में ’दुधवा महोत्सव 2024’ का आयोजन किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह बतौर मुख्य अतिथि 25 नवंबर को दुधवा नेशनल पार्क में महोत्सव का शुभारंभ करेंगे।
इस दौरान, उ.प्र. ईको टूरिज्म विकास बोर्ड द्वारा आयोजित नेचर गाइड ट्रेनिंग प्रोग्राम के मेधावियों को प्रमाण-पत्र वितरित किया जाएगा। दुधवा नेशनल पार्क पर आधारित एक वीडियो फिल्म का प्रसारण भी होगा। तत्पश्चात, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। अपने उद्बोधन के बाद पर्यटन मंत्री टाइगर सफारी के लिए प्रस्थान करेंगे।
दुधवा नेशनल पार्क सैलानियों को आकर्षित करता है
दुधवा नेशनल पार्क सैलानियों को खासा आकर्षित करता है। जैव विविधता वाले देश के चुनिंदा पर्यटन स्थलों में एक दुधवा सैलानियों की पहली पसंद रही है। उत्तर प्रदेश का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान दुधवा का कोर जोन 884 वर्ग किलोमीटर में स्थापित है। इसकी ख्याति देश-दुनिया में है। दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में विभिन्न प्रकार के बेशकीमती वृक्ष, पौधे, घासें, बाघ, तेंदुआ, भालू, हाथी, गैंडा, हिरण, सरीसृप, पक्षी व अन्य जीव-जंतु पर्यटकों को विशेष रूप से आकर्षित करते हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान की जैवविविधता की अलौकिकता, इसके मनोहारी दृश्य पर्यटकों को यहां बार-बार आने को प्रेरित करते हैं।
दुधवा राष्ट्रीय उद्यान देखने हेतु यहां संचालित पर्यटन सेवाओं में आस-पास के क्षेत्रीय निवासियों, थारु जनजाति को वरीयता प्रदान की जाती है। पर्यटन क्षेत्र में वर्तमान में 90 नेचर गाइड, 60 वाहन चालकों को रोजगार प्राप्त है। इसी तरह, दुधवा के आस-पास वनों पर निर्भरता को कम किए जाने की दृष्टि से संचालित ईको विकास समितियां भी पर्यटन में सेवाएं प्रदान कर रही हैं।