संपत्ति के लिए पिता की हत्या के मामले में दो पुत्रों को आजीवन कारावास की सजा

मऊ। प्रत्येक हिंदू तीन ऋणों को लेकर उत्पन्न होता है, देव ऋण, ऋषि ऋण वं पितृ ऋण, जिसमें पितृ ऋण से मुक्त होने के लिए उसको एक धर्मज पुत्र होना चाहिए जो उसके मरने पर उसका श्राद्ध, पिंडदान आदि क्रियाएं कर सके। हिंदू धर्म में पुत्र व उसके दायित्व और कर्तव्यों को सर्वोच्च प्रधानता दी गई है। हिंदू धर्मशास्त्र के अनुसार “पूनाम् नरकात् त्रायते इति पुत्रः” अर्थात पुत्र का अर्थ नरक से बचाने वाला होता है। संपत्ति तथा उससे अद्भुत विवाद प्रत्येक कालक्रम का अभिन्न हिस्सा रहा है लेकिन पिता की हत्या करके संपत्ति प्राप्त करना विरल तथा हृदय विदारक स्थिति है। इतिहास में मगध के शासक आजाद शत्रु को पितृहंता के नाम से जाना जाता है, अजातशत्रु ने अपने पिता बिम्बिसार की हत्या करके सिंहासन प्राप्त किया था। यह सत्य है कि समय के साथ मनुष्य बदलता है, परंतु जीवन मूल्य नहीं बदलते हैं। दायरे व दिशाएं बदलती हैं, परंतु आदर्श, उद्देश्य व संस्कार नहीं बदलते हैं। निश्चित रूप से आज इस बात की गहन आवश्यकता है कि दूषित संस्कार से स्वयं को अनुछया रखकर सत्संस्कारों की परंपरा को अगली पीढ़ियोंं तक पहुंचाया जाए। संपत्ति के सापेक्ष माता-पिता के रिश्ते की महत्ता, अक्षुणता और सुचिता ईश्वर के सदृश्य है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर एक अशोक कुमार ने अपने निर्णय मेंं उक्त बातों का उल्लेख करते हुए संपत्ति को लेकर पिता बुद्धिराम विश्वकर्मा की हत्या करने और भाई की हत्या का प्रयास करने के मामले में नामजद दो पुत्रों

पिंटू उर्फ भूपेन्द्र विश्वकर्मा व अखिलेश विश्वकर्मा को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा के साथ ही कुल 50-50 हजार रुपए अर्थदंड लगाया। अर्थदंड न देने पर 6-6 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। वही अर्थदंड जमा हो जाने पर 90 प्रतिशत

धनराशि मृतक बुद्धिराम की पत्नी लालती देवी को प्रतिकर स्वरूप देने का आदेश दिया। मामला मधुबन क्षेत्र के दुबारी काली चौरा का है।

अभियोजन के अनुसार मधुबन थाना क्षेत्र के दुबारी काली चौरा निवासी भोला विश्वकर्मा पुत्र स्व. रामअधार विश्वकर्मा की तहरीर पर एफआईआर दर्ज हुई। वादी का कथन था कि 19 मार्च 21 की रात 8:30 बजे उसके भाई बुद्धिराम विश्वकर्मा को उसके लड़के पिंटू उर्फ भूपेंद्र विश्वकर्मा और अखिलेश विश्वकर्मा ने संपत्ति के बंटवारे के विवाद को लेकर फरसा व राड से मारकर व काटकर हत्या कर दिया। उन्हें बचाने सुभाष व बुद्धिराम का लड़का राजेंद्र विश्वकर्मा गए तो आरोपियों ने उन्हें जान से मारने की नियत से फरसा से प्रहार कर छोटे पहुंचाई। पुलिस ने विवेचना कर आरोप पत्र कोर्ट में प्रेषित किया। कोर्ट में अभियोजन की ओर से पैरवी करते हुए प्रभारी जिला शासकीय अधिवक्ता अजय कुमार सिंह ने कुल 10 गवाहो को पेशकर अभियोजन का पक्ष रखा।

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