शिमला । हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) की बस में चल रहे कथित ऑडियो में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के खिलाफ बातें बोले जाने के मामले में एचआरटीसी प्रबन्धन को कोई साक्ष्य नहीं मिला है। ऐसे में इस मामले की जांच को निरस्त कर दिया गया है और प्रबन्धन ने बस के चालक व परिचालक पर कार्रवाई करने से इंकार किया है। इस मामले ने तब तूल पकड़ा, जब एचआरटीसी प्रबन्धन ने एक अजीबोगरीब शिकायत मिलने पर चालक व परिचालक को नोटिस थमा दिया था।
मामले के अनुसार एचआरटीसी बस में सफर कर रहे एक यात्री के मोबाइल पर एक डिबेट चल रही थी जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी व अन्य नेताओं के ख़िलाफ़ बातें बोली जा रही थीं। बस में ही बैठे एक अन्य यात्री ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय से कर दी। इसके बाद यह शिकायत सचिवालय और एचआरटीसी प्रबंधन तक पहुंची।
दिलचस्प बात यह है इस शिकायत को इतनी गम्भीरता से लिया गया कि एचआरटीसी प्रबन्धन ने इस पर जांच बिठा दी और एचआरटीसी शिमला लोकल डिपो ने बस के चालक टेक राज और परिचालक शेष राम से इस पूरी घटना का स्पष्टीकरण मांग लिया। प्रबंधन ने बस के चालक व परिचालक से तीन दिन के भीतर लिखित में जवाब देने को कहा। चालक व परिचालक से स्पष्टीकरण मिलने के बाद एचआरटीसी प्रबंधन ने इस पूरी जांच प्रक्रिया को निरस्त कर दिया और साफ किया कि सम्बंधित बस के चालक व परिचालक पर कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई जाएगी। एचआरटीसी प्रबन्धन ने बाकायदा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि शिकायतकर्ता द्वारा ऑडियो को बस में चलाने के कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किये गए। ऐसे में स्पष्टीकरण को निरस्त कर दिया गया है। एचआरटीसी प्रबन्धन द्वारा बिठाई गई इस अनोखी जांच की खूब चर्चा हो रही है और लोग इसे हाल ही में सामने आये समोसा प्रकरण की सीआईडी जांच से कर रहे हैं।
यह घटना बीते पांच नवंबर को शिमला से संजौली रूट पर चलने वाली एक एचआरटीसी बस में सामने आई। शिकायतकर्ता सैमुयल प्रकाश द्वारा दी गई शिकायत के मुताबिक सरकारी बस में तेज आवाज में एक ऑडियो चल रहा था, जिसमें संसद में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और भारत सरकार समेत कुछ अन्य नेताओं के खिलाफ अपमानजनक और दुष्प्रचार सामग्री प्रसारित की जा रही थी।
सैमुयल प्रकाश की इस अनोखी शिकायत पर एचआरटीसी प्रबंधन ने जांच बिठाई औऱ सम्बंधित बस के चालक व परिचालक को नोटिस जारी कर इस मामले में तीन दिन के भीतर लिखित में स्पष्टीकरण मांगा। नोटिस में लिखा गया कि सार्वजनिक तौर पर सरकारी बस में इस तरह से किसी भी राजनेता के विरुद्ध ऐसी वार्ता का ऑडियो चलाना सही नहीं है और चालक व परिचालक का पहला कर्तव्य बनता था कि किसी भी तरह के आपत्तिजनक वीडियो को सरकारी वाहन में निषेध करें लेकिन आप दोनों यह करने में असमर्थ रहे।
नोटिस में साफ किया गया कि तीन दिन में जवाब नहीं देने पर चालक व परिचालक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
चालक-परिचालक ने आरोपों को किया खारिज
चालक और परिचालक ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से निराधार बताया। उनका कहना है कि वे किसी भी प्रकार के राजनेताओं के खिलाफ ऐसी सामग्री प्रसारित करने में शामिल नहीं थे। उन्होंने दावा किया है कि वे बस में चलने वाले ऑडियो से अनजान थे और किसी भी प्रकार के दुष्प्रचार में उनका हाथ नहीं है।