होटलों-रेस्टोरेंट्स को खाने का सर्विस चार्ज वसूलने से रोकने संबंधी आदेश को चुनौती वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने होटलों और रेस्टोरेंट को खाने का सर्विस चार्ज वसूलने से रोकने संबंधी आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस प्रतिभा सिंह की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला सुरक्षित रखने का आदेश दिया।

याचिका फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने दायर की है। याचिका में सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी के 4 जुलाई 2022 के आदेश को चुनौती दी गई है। हालांकि हाईकोर्ट ने इस आदेश पर जुलाई 2022 में रोक लगा दिया था। याचिका में कहा गया है कि सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी को सर्विस चार्ज पर रोक लगाने का क्षेत्राधिकार नहीं है। याचिका में कहा गया है कि सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने सर्विस चार्ज पर रोक लगाने से पहले याचिकाकर्ता का पक्ष नहीं सुना।

याचिका में कहा गया है कि ग्राहकों से सर्विस चार्ज वसूलने का फायदा रेस्टोरेंट के स्टाफ को मिलता है। ऐसा करने से रेस्टोरेंट के मालिकों के व्यवसाय करने के मौलिक अधिकारों की भी रक्षा होती है। इस दलीवल का विरोध करते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दिया कि सर्विस चार्ज से होटल और रेस्टोरेंट के स्टाफ को लाभ मिलता है। सुनवाई के दौरान सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए कहा कि सर्विस चार्ज उपभोक्ताओं की गाढ़ी कमाई से वसूली जाती है।

याचिका में कहा गया है कि सर्विस चार्ज पिछले कई सालों से वसूला जा रहा है और इसके बारे में मेन्यू कार्ड और होटल और रेस्टोरेंट के डिस्प्ले पर भी जिक्र होता है। ऐसे में सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी का आदेश मनमाना और गैरकानूनी है।

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