येति एयरलाइंस में यात्रा कर रहे 72 यात्रियों को क्या पता था की ये उनकी जिंदगी का आखिरी पल होगा। 15 जनवरी की सुबह विमान ने पोखरा हवाई अड्डे के लिए अपनी उड़ान भरी, इसमें 68 यात्रियों समेत 4 क्रू मेंबर यानी कुल 72 लोग सवार थे।
विमान लैंडिंग के लिए तैयार थी, लेकिन लैंडिंग के महज 10 सेंकड पहले ही विमान क्रैश हो गया। विमान सीधा येती नदी की खतरनाक घाटी में जाकर गिरा और जोर से एक बम धमाका जैसा हुआ। दुर्घटना स्थल से अब तक 68 शवों को निकाला जा चुका है और बाकी 4 शवों की तलाशी की जा रही है। इस विमान में पांच भारतीय भी थे। ये विमान जिस पोखरा हवाई अड्डे पर लैंड करने वाला था, उसे चीन द्वारा तैयार किया गया है।
नेपाल में विमान हादसे
आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन नेपाल में एक साल में औसतन एक विमान हादसे का शिकार होता है। इस देश ने 2010 के बाद से, लगभग 11 घातक विमान दुर्घटनाओं को देखा है। आखिरी विमान दुर्घटना पिछले साल 29 मई को हुई थी जब तारा एयर का एक विमान क्रैश हो गया था। इस विमान में सवार 22 यात्रियों की मौत हो गई थी। ये विमान हादसा नेपाल के मस्तंग जिले में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था।
नेपाल में विमान उड़ाना इतना जोखिम भरा क्यों?
सवाल है कि नेपाल में विमान उड़ाना इतना जोखिम भरा क्यों होता है? इतने विमान हादसे होने का आखिर कारण क्या है? नेपाल में विमान हादसों का सबसे बड़ा कारण है, वहां के ऊंचे-ऊंचे पहाड़। बता दें कि दुनिया का सबसे खतरनाक एयरपोर्ट भी नेपाल में ही स्थित है। चट्टानों को काटकर रनवे को तैयार किया गया है। इस रनवे की लंबाई भी काफी सीमित है।
नेपाल में एक तरफ खाई तो दूसरी तरफ रनवे है। यहीं कारण है लैंडिंग के समय विमान को काफी बैलेंस रखना पड़ता है। यहां कई ऊंची-ऊंची चोटियों के बीच संकरी घाटियां हैं, जहां कई बार विमानों को मोड़ने में काफी कठिनाई आती है। यहीं कारण है कि विमान हादसे का शिकार हो जाते है।
क्या कहती है ये रिपोर्ट
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लुकला के पूर्वोत्तर क्षेत्र में तेनजिंग-हिलेरी हवाईअड्डा, दुनिया का सबसे खतरनाक हवाईअड्डा है। बता दें कि यहां केवल एक रनवे है, जिसकी ढलान घाटी की ओर है। नेपाल की नागरिक उड्डयन प्राधिकरण की 2019 की एक सेक्योरिटी रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल में बदलता मौसम विमान संचालन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। बड़े विमानों की तुलना छोटे विमान सबसे ज्यादा दुर्घटना का शिकार होते है।