नई दिल्ली । दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व क्रिकेटर और पूर्व भाजपा सांसद गौतम गंभीर को रियल इस्टेट कंपनी रुद्र बिल्डवेल रियलिटी प्राइवेट लिमिटेड के फ्लैट खरीदारों के साथ धोखाधड़ी करने के मामले में बरी करने के मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को निरस्त करने वाले सेशंस कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की बेंच ने सेशंस कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का आदेश दिया।
गौतम गंभीर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि याचिकाकर्ता की छवि बेदाग रही है और ब्रांड एंबेसडर होना आम बात है। उन्होंने कहा कि गौतम गंभीर भारतीय क्रिकेट टीम के साथ ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर हैं। ऐसे में ईडी की ओर से परेशान नहीं किया जाना चाहिए। ईडी की ओर से पेश वकील ने गौतम गंभीर की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि गौतम गंभीर ने कंपनी से इस्तीफा देने के बाद भी धन हासिल किया।
29 अक्टूबर को राऊज एवेन्यू कोर्ट के सेशंस कोर्ट ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। स्पेशल जज विशाल गोगने ने इस मामले को मजिस्ट्रेट कोर्ट में वापस भेजते हुए निर्देश दिया था कि वो गौतम गंभीर के खिलाफ आरोप तय करने पर नये सिरे से ताजा आदेश जारी करें, जिसमें इस मामले से जुड़े हर आरोपित के आरोपों की विस्तृत जानकारी हो।
राऊज एवेन्यू कोर्ट के मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 10 दिसंबर 2020 को इस मामले में गौतम गंभीर को रियल इस्टेट कंपनी रुद्र बिल्डवेल रियलिटी प्राइवेट लिमिटेड के फ्लैट खरीदारों के साथ धोखाधड़ी करने के आरोपों से बरी कर दिया था। मजिस्ट्रेट कोर्ट में जब ये मामला चल रहा था तब गौतम गंभीर सांसद थे जिसकी वजह से इस मामले पर राऊज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई चल रही थी।
इस मामले में दिल्ली पुलिस ने सितंबर 2019 में गौतम गंभीर के खिलाफ साकेत कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। गौतम गंभीर रियल इस्टेट कंपनी रुद्र बिल्डवेल रियलिटी प्राइवेट लिमिटेड के ब्रांड एंबेसडर थे और कंपनी के खिलाफ फ्लैट धारकों के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप था। दिल्ली पुलिस ने गौतम गंभीर के अलावा कंपनी के प्रमोटर मुकेश खुराना, गौतम मेहरा और बबीता खुराना को आरोपित बनाया था। गौतम गंभीर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 406 और 420 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
कंपनी पर फ्लैट धारकों के पैसे लेकर फर्जीवाड़ा करने का आरोप है। फ्लैट धारकों की शिकायत पर आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने केस दायर किया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने गौतम गंभीर का नाम भुनाकर निवेशकों से पैसे लिए और फ्लैट नहीं दिए। फ्लैट खरीदारों ने ये आरोप लगाते हुए शिकायत की कि उन्होंने 2011 में गाजियाबाद के इंदिरापुरम में कंपनी के एक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक किए थे, लेकिन उन्हें फ्लैट नहीं मिले। दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में कहा गया है कि कंपनी ने 6 जून 2013 को बायर्स को फ्लैट देने का वादा करने के बाद भी 2014 तक टाल-मटोल करती रही। 15 अप्रैल 2015 को अधिकारियों ने प्रोजेक्ट का अनुमोदन रद्द कर दिया था।