इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जातीय रैलियों पर रोक के मामले में केंद्र व राज्य सरकार समेत केंद्रीय निर्वाचन आयोग से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। इसके बाद दो सप्ताह में सभी पक्षकारों को अपने प्रति उत्तर दाखिल कर सकेंगे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मुख्य चुनाव आयुक्त, केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य में जाति आधारित रैलियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की याचिका पर चार हफ्तों के भीतर अपना जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। बेंच ने याचिकाकर्ता को रिजॉइंटर एफिडेटिव यानी कि प्रति उत्तर दायर करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है।
इसके अलावा अदालत ने अगली सुनवाई के लिए मामले को छह सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करने का भी निर्देश दिया है। बताते चलें कि जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की बेंच ने मोतीलाल यादव द्वारा 2013 में दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर यह आदेश पारित किया है।
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की इस बेंच ने उत्तर प्रदेश के चार प्रमुख राजनीतिक दलों से नोटिस जारी कर जवाब मांगा था कि क्यों न जातिगत रैलियों पर पूर्ण रुप से प्रतिबंध लगा दिया जाए। कोर्ट ने चुनाव आयुक्त से भी सवाल किया था कि ऐसी रैलियां करने वालों के खिलाफ क्यों नहीं कार्रवाई करनी चाहिए।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 11 जुलाई, 2013 को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, हाईकोर्ट की बेंच ने उत्तरी राज्यों में जाति आधारित रैलियों के आयोजन पर अंतरिम प्रतिबंध लगा दिया था।