एनडीए का संकल्प पत्र जारी, युवाओं को 1 करोड़ नौकरियां और 50 लाख करोड़ के निवेश का वादा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर, एनडीए ने संकल्प पत्र में रोजगार, शिक्षा, महिलाओं के लिए ‘लखपति दीदी’ योजना और सात एक्सप्रेसवे बनाने जैसे बड़े वादे किए हैं। यह विकासोन्मुखी एजेंडा मतदाताओं को लुभाने का प्रयास है, जबकि चुनावी मैदान में भरोसे की कसौटी अभी बाकी है।पटना में शुक्रवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपना *संकल्प पत्र* जारी किया है। इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, हम के नेता जीतन राम मांझी और जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा मौजूद रहे हैं।

मौजूद जानकारी के अनुसार, एनडीए के संकल्प पत्र में युवाओं को एक करोड़ नौकरियां देने, अगले पांच वर्षों में 50 लाख करोड़ रुपये के निवेश और हर जिले में *ग्लोबल स्किलिंग सेंटर* स्थापित करने का वादा किया गया है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि यह घोषणा राज्य में रोजगार और उद्योग को नई दिशा देने का प्रयास है।

गौरतलब है कि एनडीए ने अपने घोषणापत्र में महिलाओं के लिए भी कई बड़े वादे किए हैं। ‘लखपति दीदी’ योजना के तहत एक करोड़ महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की घोषणा की गई है। वहीं, राज्य में सात नए एक्सप्रेसवे बनाए जाने और पटना के अलावा चार अन्य शहरों में मेट्रो रेल सेवा शुरू करने की योजना भी शामिल की गई है।

संकल्प पत्र में यह भी कहा गया है कि अगर एनडीए सत्ता में आती है तो राज्य में केजी से पीजी तक की शिक्षा निशुल्क और गुणवत्तापूर्ण बनाई जाएगी। अत्यंत पिछड़े वर्गों के विभिन्न समुदायों को 10 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता देने का भी वादा किया गया है। इसके साथ ही, एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की जाएगी, जो इन समुदायों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का आकलन कर सुधार संबंधी सुझाव सरकार को देगी।

बता दें कि बिहार में विधानसभा चुनाव दो चरणों में होंगे. पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को और दूसरे चरण का 11 नवंबर को होगा। वहीं, मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी। एनडीए का यह घोषणापत्र राज्य में रोजगार, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास को मुख्य केंद्र में रखता है, जबकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनावी मैदान में जातीय समीकरण अभी भी सबसे निर्णायक कारक बने हुए हैं।

यह चुनाव बिहार के लिए अहम माना जा रहा है, क्योंकि एनडीए जहां विकास और स्थिरता की बात कर रहा है, वहीं विपक्ष इसे सामाजिक न्याय और रोजगार के सवाल पर चुनौती देने की तैयारी में है। कुल मिलाकर, बिहार की सियासत में इस बार वादों से ज़्यादा भरोसे की कसौटी पर परख होने वाली है।

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