केरल में सात साल के एक बच्चे को हुआ मंकीपॉक्स

केरल में सात साल के एक बच्चे को मंकीपॉक्स होने का संदेह है, उसे केरल के कन्नूर के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है. यह बच्चा ब्रिटेन से लौटा है और इसमें मंकीपॉक्स के समान सभी लक्षण है. बच्चे को रविवार शाम को भर्ती कराया गया था. बच्चे का टेस्ट हो गया है लेकिन डॉक्टरों को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे से रिपोर्ट का इंतजार है. बच्चे को विशेष रूप से डिजाइन किए गए आइसोलेशन वार्ड में निगरानी के लिए रखा गया है. गौरतलब है कि देश में मंकीपॉक्स का पहला मामला भी केरल से ही आया था.

इस बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के एक संस्थान द्वारा भारत के पहले दो मंकीपॉक्स मामलों का विश्लेषण किया गया है. इससे पता चला है कि दोनों मरीज यूएई से लौटे थे और उनमें जो वायरस के स्ट्रेन मिले हैं, वे A.2. स्ट्रेन है. यह स्ट्रेन यूरोप में फैलने वाले मंकीपॉक्स के स्ट्रेन से अलग है. A.2.स्ट्रेन पिछले साल अमेरिका में मिला था. इस स्ट्रेन के कारण अब तक बीमारी ज्यादा खतरनाक नहीं देखी गई है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की वरिष्ठ वैज्ञानिक और अध्ययन की प्रमुख लेखिका डॉ. प्रज्ञा यादव ने बताया कि वर्तमान संक्रमण का प्रकोप मंकीपॉक्स वायरस के B.1 स्ट्रेन से हो रहा है. इस अध्ययन को रिसर्च स्क्वायर में प्रकाशित किया गया है. भारत में अब तक मंकीपॉक्स के 9 मामले सामने आ चुके हैं

केरल में जो पहले दो मामले आए थे, वे मरीज संयुक्त अरब अमीरात से लौटे थे. उनमें बुखार, मांसपेशियों में दर्द और जननांगों में छाले की शिकायतें थीं. इसके अलावा सिर और गर्दन के आस-पास कुछ उभार भी दिखाई देने लगे थे. जिस दिन से इन मरीजों में ये लक्षण देखे गए थे उसी दिन से इनके मुंह और नाक से सैंपल लिए गए. इसके अलावा ईडीटीए ब्लड, सीरम, पेशाब और कई अन्य जगहों से भी सैंपल लिए गए. इन सभी सैंपलों पर रिसर्च में विश्लेषण किया गया है. दोनों मरीजों से लिए गए सैंपल के आधार पर यह पाया गया है कि दोनों मरीजों में वायरस के जीनोम सीक्वेंस MPXV_USA_2022 और FL001 West African के साथ 99.91 से 99.96 प्रतिशत की समानताएं रखता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published.