
हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उनकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए भक्त उपवास रखते हैं और उनकी विशेष पूजा करते हैं। मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन उत्पन्ना एकादशी व्रत रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार उत्पन्ना एकादशी व्रत 20 नवंबर, रविवार के दिन रखा जाएगा। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और श्रीहरि का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। शास्त्रों में एकादशी तिथि के लिए कुछ विशेष उपाय बताए गए हैं जिनका पालन करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है। आइए जानते हैं-
- शास्त्रों में बताया गया है कि उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी के भक्तों को दक्षिणावर्ती शंख की पूजा निश्चित रूप से करनी चाहिए। इससे कई प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- इस दिन भगवान विष्णु को गंदे फूल की माला अर्पित करें। साथ ही उन्हें बेसन का हलवा और केसर वाली खीर भोग के रूप में चढाएं। भोग चढ़ाने से पहले उनमें तुलसी के पत्ते अवश्य डाल लें।
- उत्पन्ना एकादशी के दिन दान-धर्म को विशेष माना गया है। इसलिए भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के बाद पीले फल या अन्न और धन का दान करें।
- एकादशी व्रत के दिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र जाप निरंतर करते रहें। साथ ही इस दिन शाम के समय माता तुलसी के सामने दीपक जलाएं व उनकी आरती करें और 11 बार परिक्रमा भी जरूर करें।
- इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के बाद पीपल के पेड़ की पूजा करने से भी व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। साथ ही घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक भी अवश्य जलाएं।
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