जानिए पटाखे से सेहत को क्या नुकसान पहुंचता है?

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पटाखे प्रदूषण का इकलौती वजह नहीं है लेकिन इनके कारण भी वायु की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। इसलिए दिवाली या इस तरह के मौकों पर पटाखे न जलाने की सलाह दी जाती है। आइए जानें कि आम पटाखें हमारी सेहत को किस तरह प्रभावित करते हैं।

दिवाली के त्योहार की तैयारी सभी ने कर ली है। घर को दिये, लाइट्स और रंगोली से सजाने के साथ लोग यह दिन अपने करीबी लोगों के साथ भी मनाते हैं। इस दिन पटाखे भी जलाए जाते हैं, लेकिन पिछले कई सालों से इस पर बैन लगाया जा रहा है, जिसकी वजह इसके कारण होने वाला वायु प्रदूषण है।

हर साल दिवाली के आसपास दिल्ली, गुडगांव, यूपी जैसी शहरों में प्रदूषण का स्तर बेहद खराब हो जाता है। यह धुआं कई तरह की बीमारियों का कारण बनता है, जो लोग पहले से क्रॉनिक बीमारियों का शिकार होते हैं, उनके लिए मुसीबत और बढ़ जाती है। तो आइए जानें कि आम पटाखों में ऐसा क्या होता है, जो हमारी सेहत को गंभीर रूप से खराब करता है।

पारंपरिक पटाखों में क्या होता है?

पटाखों से कई तरह के ज़हरीले धातु निकलते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। पटाखों से निकलने वाला सफेद रंग एल्युमिनियम, मैग्नीशियम और टाइटेनियम का होता है, जबकि नारंगी रंग कार्बन या आयरन का होता है। इसी तरह पीला रंग सोडियम कंपाउंड का होता है और नीला व लाल कॉपर और स्ट्रोंटियम कार्बोनेट का होता है। हरा एजेंट बेरियम मोनो क्लोराइड सॉल्ट्स या बेरियम नाइट्रेट या बेरियम क्लोरेट होता है।

इनसे क्या नुकसान पहुंचता है?

एक्सपर्ट्स की मानें तो, पटाखों में लेड तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है, जबकि तांबा श्वसन तंत्र में जलन पैदा करता है, सोडियम त्वचा की दिक्कतों का कारण बनता है और मैग्नीशियम मानसिक फ्यूम बुखार का कारण बनता है। कैडमियम न सिर्फ एनीमिया का कारण बनता है, बल्कि गुर्दे को भी नुकसान पहुंचाता है जबकि नाइट्रेट सबसे हानिकारक है, जो मानसिक हानि का कारण बनता है। नाइट्राइट की उपस्थिति श्लेष्मा झिल्ली, आंखों और त्वचा में जलन पैदा करती है। साथ ही इनकी तेज़ आवाज़, हमारे कान पर बुरा असर डालती है। अगर यह आपके कान के ज़्यादा पास फट जाए, तो इससे बेहरापन भी हो सकता है।

किन लोगों को पहुंचता है सबसे ज़्यादा नुकसान?

पटाखों के धुएं और केमिकल्स से सबसे ज़्यादा शिशु, बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और वे लोग प्रभावित होते हैं, जो पहले से किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित होते हैं। हालांकि, पटाखों में मौजूद केमिकल्स सभी लोगों को किसी न किसी तरह नुकसान पहुंचाते हैं।

आम पटाखों और ग्रीन पटाखों में क्या है फर्क?

ग्रीन और आम पटाखे, दोनों को जलाने से प्रदूषण फैलता है, इसलिए लोगों को किसी भी तरह के पटाखे जलाने से बचना चाहिए। हालांकि, दोनों में फर्क इतना ही है कि पारंपरिक पटाखों की तुलना ग्रीन पटाखे 30 फीसदी कम वायु प्रदूषण करते हैं। ग्रीन पटाखे उत्सर्जन को काफी हद तक कम करते हैं और धूल को अवशोषित करते हैं और इसमें बेरियम नाइट्रेट जैसे खतरनाक तत्व नहीं होते हैं। पारंपरिक पटाखों में ज़हरीली धातुओं को कम ख़तरनाक यौगिकों से बदल दिया जाता है। ग्रीन पटाखों को जलाने की अनुमति सिर्फ उन्हीं शहरों में दी गई है, जहां हवा की गुणवत्ता मध्यम या खराब है।

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