सिंघाड़ा पानी में उपजने वाला एक फल है। यह त्रिभुजाकार होता है। इसमें बैल की सींग की तरह कांटे होते हैं। अंग्रेजी में सिंघाड़ा को वाटर चेस्टनट कहते हैं। देसी भाषा में सिंघाड़ा को पानी फल कहा जाता है।
आजकल लोग तनाव भरी जिंदगी जीने को आदी हो गए हैं। तनाव एक मानसिक विकार है। इसका ठोस इलाज नहीं है। इसके लिए व्यक्ति को खुद से प्रयास करना पड़ता है। वहीं, तनाव से कई अन्य बीमारियां जन्म लेती हैं। खासकर, उच्च रक्तचाप की बीमारी तनाव से होती है। वहीं, उच्च रक्तचाप से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो अत्यधिक तनाव लेने की वजह से उच्च रक्तचाप की बीमारी होती है। इसके लिए तनाव से दूरी बनाएं। वहीं, उच्च रक्तचाप को कंट्रोल करने के लिए पोटेशियम रिच फूड्स का सेवन अधिक करें। इसके अलावा, सर्दियों में उच्च रक्तचाप कंट्रोल करने के लिए सिंघाड़ा का सेवन कर सकते हैं। इसके सेवन से उच्च रक्तचाप कंट्रोल में रहता है। इसके अलावा, पानी फल खाने के कई अन्य फायदे हैं। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
सिंघाड़ा
सिंघाड़ा पानी में उपजने वाला एक फल है। यह त्रिभुजाकार होता है। इसमें बैल की सींग की तरह कांटे होते हैं। अंग्रेजी में सिंघाड़ा को वाटर चेस्टनट कहते हैं। देसी भाषा में सिंघाड़ा को पानी फल कहा जाता है। वहीं, छिलके को अच्छी तरह से सुखाकर आटा तैयार किया जाता है। इस आटे का व्रत में यूज किया जाता है। वहीं, सेहत के लिए भी सिंघाड़ा किसी वरदान से कम नहीं है। इसके सेवन से मोटापा, मधुमेह और उच्च रक्तचाप में बहुत जल्द आराम मिलता है। कई शोधों में दावा किया गया है कि सिंघाड़ा खाने से उच्च रक्तचाप कंट्रोल में रहता है। इसमें पोटेशियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।पोटेशियम युक्त चीजों के सेवन से उच्च रक्तचाप कंट्रोल में रहता है। साथ ही दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा, सिंघाड़ा खाने से बवासीर में भी आराम मिलता है। इसके लिए बवासीर के मरीज सिंघाड़ा का अवश्य सेवन करें। सिंघाड़े में फाइबर अधिक मात्रा में पाया जाता है जो वजन घटाने में फायदेमंद होता है। इसके लिए मोटापे से पीड़ित मरीज भी सिंघाड़े का सेवन कर सकते हैं।