डिजिटल लेनदेन में विशेष सावधानी बरतने और कुछ जरूरी उपायों को अपनाने की जरूरत..

डिजिटल बैंकिंग से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों में बीते कुछ वर्षों से लगातार वृद्धि हो रही है। कभी एसएमएस फिशिंग तो कभी केवाइसी अपडेट करने या फिर आनलाइन लोन देने के नाम पर लोगों से ठगी हो रही है। मोबाइल बैंकिंग की पहुंच देश के लगभग सभी वर्गों तक हो चुकी है। इसका दायरा लगातार व्यापक हो रहा है। यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआइ) से डिजिटल भुगतान प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है। इससे आम जन को सहजता तो हुई है, लेकिन कुछ चुनौतियां भी सामने आ रही हैं।

लोगों के डिजिटल आकर्षण को देखते हुए बड़ी संख्या में माइक्रो फाइनेंसिंग एप्स आ गये हैं, तो वहीं कुछ बेटिंग एप्स भी सक्रिय हैं। इस तरह के एप्स आम लोगों के लिए आर्थिक मुश्किलें पैदा कर रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि डिजिटल तरीके से लेनदेन के दौरान हमेशा सावधानी बरती जाये।

कई स्तरों पर डिजिटल धोखाधड़ी

कई माइक्रो फाइनेंसिंग एप्स केवाईसी या दस्तावेजों के सत्यापन के बगैर ही लोन दे देते हैं। इससे सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि ये लोन एप पहले ग्राहकों को फंसाते हैं, फिर ब्लैकमेल करना शुरू कर देते हैं। इनसे कई स्तरों पर नुकसान हो रहा है। यही वजह है कि बीते दिनों केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मनी लांड्रिंग, डेटा चोरी, कस्टम नियमों के उल्लंघन और धोखाधड़ी आशंका को देखते हुए अनेक एप्स पर पाबंदी लगा दी है। इसमें 138 बेटिंग और 94 लोन एप्स हैं। इन एप्स पर कर्जदाताओं के साथ बदसलूकी करने का भी आरोप है।

साइबर अपराधी भी सक्रिय

मोबाइल बैंकिंग ट्रोजन इंस्टालर्स की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। बीते वर्ष 2022 में इनकी संख्या दो लाख से अधिक रही है, जो पूर्ववर्ती साल की तुलना में दोगुने से ज्यादा है। साइबर सुरक्षा फर्म कैसपर्स्काइ की मोबाइल थ्रेट रिपोर्ट, 2022 के अनुसार, मोबाइल बैंकिंग ट्रोजंस की संख्या पिछले छह वर्षों में उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि साइबर अपराधी मोबाइल बैंकिंग ट्रोजन के जरिये वित्तीय धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे हैं। चूंकि मोबाइल फोन हमारी जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा बन गया है, ऐसे में हमें मोबाइल से जुड़ी इस तरह की समस्याओं को लेकर अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। इसके लिए हमें कुछ जरूरी बातों का खास ध्यान रखना होगा।

लिंक के जरिये न करें लोन आवेदन

सस्ते लोन का दावा करने वाली कंपनियों में कुछ फर्जी भी होती हैं। वे लोन के लिए सबसे पहले एप पर रजिस्ट्रेशन करने के लिए कहती हैं। इसमें एक लिंक भेज कर कहा जाता है कि इस पर क्लिक करने पर आपको लोन मिल जाएगा और इसके लिए सिक्योरिटी व दस्तावेजों की भी जरूरत नहीं होगी। फ्राड करने वाले भेजे गए लिंक पर क्लिक करने और प्ले स्टोर से एप डाउनलोड करने के लिए कहते हैं। हमें ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी बैंक लिंक पर क्लिक करने या फिर एप डाउनलोड करने से लोन नहीं देता है। हां, लिंक पर क्लिक करने से आपकी निजी जानकारी शेयर अवश्य हो जाती है। इससे आपके बैंक अकाउंट में सेंधमारी हो सकती है।

बचें एप से लोन लेने से

कई माइक्रो फाइनेंसिंग एप्स आधार कार्ड और पैन कार्ड के जरिये लोन देने का वादा करते हैं। इस तरह के एप डाउनलोड करने से भी फोन में वायरस आ जाते हैं। स्कैमर्स आपकी निजी जानकारियां चुरा लेते हैं और फिर आप से धोखाधड़ी करते हैं। हालांकि, अगर आप सतर्क हैं, तो फेक एप का आसानी से पता लगा सकते हैं। कोई भी लोन एप डाउनलोड करने से पहले उसकी रेटिंग और रिव्यू देखें। साथ ही उसे चलाने वाली कंपनी के बारे में भी पता करें। यह भी जाचें कि क्या इसके साथ कोई बैंक जुड़ा है या नहीं। नियमों के मुताबिक किसी भी लोन एप के साथ किसी एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) को जरूर जुड़ा होना चाहिए।

साझा न करें निजी जानकारियां

प्ले स्टोर से डाउनलोड करने के बाद फर्जी एप यूजर्स से कई तरह की जानकारी मांगते हैं, जबकि असली एप लोन देने से पहले अपनी पूरी जानकारी देगा। वह पारदर्शिता के साथ सभी प्रक्रियाएं पूरी कराएगा। अगर कोई एप ऐसा नहीं कर रहा है तो फिर आपको बचने की जरूरत है। बिना केवाईसी, बिना डाक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लोन देने वाले एप्स से सावधान रहें, अन्यथा आप मुसीबत में फंस सकते हैं।

ठगी से बचने के उपाय

  • आनलाइन सुरक्षा के लिए मजबूत पासवर्ड बनाएं। इसमें कैरेक्टर, लेटर और नंबर को शामिल करें। आसान पासवर्ड की सेंधमारी आसानी से हो जाती है।
  • अपने सिस्टम पर साफ्टवेयर को नियमित रूप से अपडेट करते रहें। एंटी-वायरस और एंटी मालवेयर का जरूर इस्तेमाल करें।
  • अनजान लिंक पर क्लिक करने से बचें और अनधिकृत लोन एप का उपयोग न करें।
  • संवेदनशील डाटा चोरी न हो, इसके लिए फोन में एप की परमिशन सेटिंग जरूर चेक करें।
  • संदिग्ध एप के चक्कर में फंस गए हैं, तो तुरंत पुलिस में शिकायत करें।
  • साइबर अपराध की रिपोर्ट करने के लिए https://cybercrime.gov.in देखें।

मैसेज/एसएमएस से भी रहें सतर्क

कोड या ओटीपी के जरिये बड़ी संख्या में धोखाधड़ी होती है। स्कैमर्स आपके अकाउंट या नंबर से साइन-इन करके वाट्सएप कंफर्मेशन कोड जेनरेट करते हैं। इसके बाद वे संबंधित यूजर को एक मैसेज भेजकर उसकी जानकारी मांगते हैं। कोड प्राप्त करने के बाद स्कैमर्स दूसरी डिवाइस में आपका वाट्सएप लाग-इन करते हैं। इसके बाद कांटैक्ट लिस्ट में शामिल किसी व्यक्ति को अर्जेंट मैसेज भेजकर पैसे उधार मांगते हैं।

साइबर सुरक्षा का वादा

स्कैमर्स एक मैसेज भेजते हैं- ‘प्रिय ग्राहक, आपकी डिवाइस में मालवेयर आ गया है। दिये गये लिंक पर क्लिक कर डिवाइस को मालवेयर से मुक्त करें। लिंक पर क्लिक करते ही मालवेयर डाउनलोड हो सकता है। इस तरह साइबर अपराधी अकाउंट तक पहुंच कर गोपनीय जानकारियां चुराते हैं। इस तरह के मैसेज आपको भी मिल रहे हैं, तो सतर्क हो जाएं।

कैश प्राइज/लकी ड्रा

लालच देकर ठगी करना सबसे पुराना तरीका है। अक्सर धोखेबाजों द्वारा वाट्सएप, एसएमएस या ई-मेल द्वारा कैश प्राइज या लकी ड्रा वाले संदेश भेजे जाते हैं। कई बार तो मैसेज पोस्टर और वीडियो संदेश के रूप में भी होता है। इसमें फंसने के बाद प्रोसेसिंग फीस आदि के नाम पर भी स्कैमर्स उगाही करने लगते हैं।

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