भारतीय रेलवे ने धीरे से यात्रियों को जोर का झटका दिया

भारतीय रेलवे ने धीरे से यात्रियों को जोर का झटका दिया है। अब ट्रेन में यात्रा के लिए एक साल के बच्चे का भी फुल टिकट लगेगा। अभी तक पांच से 11 साल के बच्चों को आधा किराया लगता था। रेलवे ने बिना सूचना के नियम में बदलाव कर दिया।

 शहर के रहने वाले मयंक परिवार के साथ गुजरात के टूर पर निकले। उनको 13 अगस्त को राजकोट से सोमनाथ जाना था। ओखा-सोमनाथ एक्सप्रेस की एसी फर्स्ट में उन्होंने रिजर्वेशन कराया। चार यात्रियों में पहला नाम अपने एक वर्ष के बेटे का भरा। रेलवे के सिस्टम ने कम उम्र होने के बावजूद आवेदन पर आपत्ति नहीं की। एक वर्ष के छोटे बच्चे को आम यात्रियों की तरह ही पूरी सीट आवंटित करते हुए पूरा किराया ले लिया गया। यदि आप भी मयंक की तरह अपने परिवार के साथ यात्रा करने वाले हैं और साथ में एक से चार वर्ष तक की उम्र के बच्चे हैं तो रिजर्वेशन फार्म संभलकर भरें। रेलवे ने गुपचुप तरीके से उन छोटे बच्चों के रिजर्वेशन की बुकिंग शुरू कर दी है जो अब तक निश्शुल्क यात्रा करते थे। पिछले दिनों लखनऊ मेल की एसी थर्ड बोगी में बेबी बर्थ तैयार करने के बाद अब रेलवे ने चार साल से कम उम्र के बच्चों का भी टिकट बनाकर उनको सीट देने की व्यवस्था लागू कर दी है। अब तक केवल पांच से 11 वर्ष की उम्र के बच्चों के टिकट रेल आरक्षण केंद्र के काउंटरों और आइआरसीटीसी की वेबसाइट पर बनते थे।पांच से 11 वर्ष की उम्र के बच्चों का टिकट बनाते समय यह विकल्प देना होता है कि पूरी बर्थ लेंगे या फिर नहीं। बर्थ लेने पर ही पांच से 11 वर्ष की उम्र के बच्चों का पूरा किराया पड़ता है। जबकि बर्थ न लेने पर किराया आधा ही देना होता है। अब एक से चार वर्ष की उम्र के बच्चों के लिए भी रेलवे ने टिकट बुकिंग शुरू कर दी है। पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम ने एक से चार वर्ष तक की उम्र के बच्चों के नाम भरने के बाद बर्थ न लेने का कोई विकल्प ही नहीं रखा है। कम उम्र के बावजूद सिस्टम कोई आपत्ति नहीं करता है। ऐसे में अप्लीकेशन फार्म में नाम भरते ही पूरा किराया लेकर रेलवे एक से चार साल की उम्र तक के बच्चों का भी टिकट जारी कर दे रहा है।

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