जिस महिला ने गोद में रखकर रूई के फाहे से दूध पिलाकर बढ़ा किया था, उस मालकिन सुशीला त्रिपाठी को बेरहमी से मारने वाली पिटबुल प्रजाति की डाग ब्राउनी को नगर निगम से वापस लेने मृतका का बेटा अमित त्रिपाठी बुधवार को अधिकारियों से मिला। वह नगर निगम मुख्यालय में संयुक्त निदेशक (पशु कल्याण) डा. अरविंद राव के कक्ष में पहुंचा और कहा, कि चौदह दिन की अवधि पूरी हो गई है और वह ब्राउनी को वापस कर दें, जिसे वह किसी रिश्तेदार के यहां रखेगा
नगर निगम ने अमित त्रिपाठी को ब्राउनी को देने से मना कर दिया और कहा कि वह शपथ पत्र लेकर आए कि ब्राउनी को वह किसी रिश्तेदार को ही देगा, जिस रिश्तेदार के यहां रखेगा, उसे भी साथ लाए, उस रिश्तेदार से भी शपथ लिया जा सके। ब्राउनी को लेकर करीब एक घंटे तक बहस होती रही है और अमित त्रिपाठी को वापस ही होना पड़ा।
मेनका गांधी ने की थी पैरवीः नगर निगम के कब्जे में ब्राउनी है और उसे गोद लेने के लिए कई लोग आगे आ चुके है। मालकिन को मारने के बाद चर्चा में आई ब्राउनी की पैरवी में पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद मेनका गांधी भी आ गईं थी। उन्होंने लखनऊ नगर निगम के अधिकारियों से मोबाइल फोन से संपर्क भी किया था और कहा था कि ब्राउनी को किसी अन्य को देने के बजाय परिवार वालों के ही सिपुर्द कर दिया जाए, जो अपने किसी रिश्तेदार के यहां रखना चाहते हैं।
वैसे ब्राउनी को गोद लेने के लिए करीब दस से अधिक लोग नगर निगम से संपर्क कर चुके हैं, जबकि बंग्लुरू की एक संस्था ने गोद लेने की इच्छा जताई थी लेकिन कोई सामने गोद लेने नहीं आया। कैसरबाग बंगाली टोला में मालकिन सुशीला त्रिपाठी को बारह जुलाई की सुबह साढ़े पांच बजे ब्राउनी को नगर निगम ने दो दिन बाद जब्त कर इंदिरानगर (कुकरैल पिकनिक स्पाट के पास) में बने नगर निगम के कुत्ता नसबंदी केंद्र जरहरा में रखा था। चिकन खाने वाली ब्राउनी अब वहां के कर्मचारियों से हिल भी गई है और खुले में भी रहती है। वह सिर्फ चिकन ही खा रही है।