योगी आदित्यनाथ को सुप्रीम कोर्ट दी ने बड़ी राहत ,15 वर्ष पुराने मामले पे नहीं होगी FIR

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ 15 वर्ष पुराने भाषण में केस दर्ज कराने के लिए याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने 20 अगस्त 2018 को नोटिस जारी किया था।

 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  को सुप्रीम कोर्ट ने 15 वर्ष पुराने मामले में बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने भड़काऊ भाषण के मामले में उनके खिलाफ केस दर्ज करने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने बुधवार को इस प्रकरण पर फैसला सुरक्षित किया था, जिसको आज सुनाया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बतौर लोकसभा सदस्य गोरखपुर के 2007 में भड़काऊ भाषण देने के मामले में बड़ी राहत मिली है। 15 वर्ष पहले के भाषण देने के मामले में उनके खिलाफ केस दर्ज करने को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया। शीर्ष अदालत आज इस फैसले को सुना दिया। 

मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस मामले में मंजूरी से इनकार करने के मुद्दे पर जाना जरूरी नहीं है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा कि उचित मामले से निपटने के लिए मंजूरी के कानूनी सवालों को खुला रखा जाएगा।

इससे पहले फरवरी 2018 में दिए गए अपने फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि उसे जांच के संचालन में या मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार करने की निर्णय लेने की प्रक्रिया में कोई प्रक्रियात्मक त्रुटि नहीं मिली है।

गोरखपुर के एक पुलिस स्टेशन में 2007 में तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ और कई अन्य के खिलाफ दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के कथित आरोपों में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। यह आरोप लगाया गया था कि आदित्यनाथ के एक भड़काऊ भाषण के बाद उस दिन गोरखपुर में हिंसा की कई घटनाएं हुईं।

उनके खिलाफ केस दर्ज कराने के लिए याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने 20 अगस्त 2018 को नोटिस जारी किया था। अब मौजूदा चीफ जस्टिस एन वी रमना की बेंच ने इस मामले में किसी भी प्रकार का कोई केस दर्ज करने की अनुमति देने से इन्कार किया है।

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