राम मंदिर :संघ प्रचारक ने आंदोलन की स्मृतियों को किया ताजा

अयोध्या भेजे गए संघ के प्रचारक महेश नारायण सिंह ने मंदिर आंदोलन को विशाल रूप देने तथा पूरे देश को अयोध्या से जोड़ने के लिए काम शुरू किया। राम जन्मभूमि मुक्ति मुद्दे को जनआंदोलन बनाने के शुरुआती चरण में संघ के साथ कांग्रेस के नेताओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी।

बात 1978 से 1983 के बीच की है। अयोध्या भेजे गए संघ प्रचारक महेश नारायण सिंह श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन को देशव्यापी स्वरूप देने और भविष्य की चुनौतियों के मद्देनजर कानूनी कीलकांटे दुरुस्त करने में जुटे थे। उधर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में संघ के मुरादाबाद के तत्कालीन विभाग प्रचारक और संघ से जुड़े संगठन हिंदू जागरण मंच के पश्चिमी प्रांत के संयोजक दिनेश चंद्र त्यागी, पूर्व मंत्री कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दाऊदयाल खन्ना के साथ आंदोलन को विशाल रूप देने का तानाबाना बुन रहे थे।

तभी साल 1981 में तमिलनाडु के मीनाक्षीपुरम में धर्म परिवर्तन की बड़ी घटना घटी, जिसमें पूरे गांव ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया। मैंने सुना कि कांग्रेस के भी कई नेता इससे काफी क्षुब्ध थे। उन्हें यह घटना अपनी पार्टी कांग्रेस की तुष्टीकरण नीति की अति का नतीजा लग रहा था। ऐसे नेताओं की सोमनाथ से लेकर अयोध्या के मुद्दे तक प्रधानमंत्री नेहरू से असहमति पहले भी सार्वजनिक होती रही थी। इन्हीं में थे पूर्व मंत्री और विधायक मुरादाबाद के दाऊदयाल खन्ना। उन्होंने मुरादाबाद में कार्यरत राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के विभाग प्रचारक दिनेश त्यागी को बुलाकर उनसे हिंदुओं को संगठित करने की योजना पर ठोस कार्य का आग्रह किया।

काशीपुर-मुजफ्फरनगर सम्मेलनों से बढ़ा आंदोलन 


दिनेश त्यागी ने संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों से विचार-विमर्श करके 22 नवंबर 1982 को उत्तराखंड के नैनीताल जिले के काशीपुर में हिंदू सम्मेलन बुलाया। इसमें शामिल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री दाऊदयाल खन्ना सहित सभी ने मीनाक्षीपुरम की घटना को हिंदुओं की अस्मिता पर प्रहार बताते हुए सरकार की आलोचना की। साथ ही, हिंदू चेतना के आंदोलन की जरूरत समझाई। राम जन्मभूमि मुक्ति के सहारे हिंदुओं के जनजागरण की रणनीति बनी। कुछ महीने बाद मार्च 1983 में मुजफ्फरनगर में एक और हिंदू सम्मेलन हुआ। 

संघ के तत्कालीन जिला प्रचारक और कथावाचक विजय कौशल को इसे आयोजित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। पूर्व कार्यवाहक पीएम गुलजारी लाल नंदा, संघ के तत्कालीन सरकार्यवाह प्रो. राजेन्द्र सिंह रज्जू भैया, पूर्व मंत्री दाऊदयाल खन्ना, विजयाराजे सिंधिया सहित कई शख्सियत इसमें शामिल हुई। इसी में अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के साथ काशी के विश्वनाथ मंदिर और मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर की मुक्ति के प्रस्ताव पारित हुए और आंदोलन का फैसला हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Time limit exceeded. Please complete the captcha once again.