सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के शव को आज किया जाएगा सुपुर्द-ए-खाक

संभल लोकसभा सीट से सपा सांसद डाॅ. शफीकुर्रहमान बर्क ने मंगलवार को अंतिम सांस ली। वह 93 वर्ष के थे। गुर्दे में तकलीफ के कारण पिछले कई दिनों से उन्हें मुरादाबाद के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था। निधन के बाद उनका शव मुरादाबाद से संभल में दीपा सराय स्थित आवास पर लाया गया।

अंतिम दर्शन करने वालों की भीड़ बढ़ने पर शव को संभल के एक मैरिज हॉल में ले जाया गया। उनके पोते जियाउर्रहमान बर्क ने बताया कि बुधवार को संभल में ही उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। समाजवादी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव के लिए डॉ. बर्क को सपा संभल सीट से फिर उम्मीदवार घोषित कर चुकी थी।

पांच बार सांसद रहे डॉ. बर्क ने दो बार संभल संसदीय सीट से जीत हासिल की थी, जबकि इससे पहले तीन बार वह मुरादाबाद लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे। इसके अलावा संभल विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक और एक बार प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे थे।

उनके पोते जियाउर्रहमान बर्क मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से सपा विधायक हैं। अल्पसंख्यक वर्ग की राजनीति में तीखे बयानों के लिए पहचाने जाने वाले डॉ. बर्क बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक भी रहे थे। मौजूदा संसद में सबसे उम्रदराज सांसद होने पर डॉ. बर्क को कुछ समय पहले प्रधानमंत्री ने शुभकामनाएं भी दी थीं।

1967 में लड़ा था पहला चुनाव

डाॅ. शफीकुर्रहमान बर्क ने 1967 में संभल विधानसभा क्षेत्र से स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर पहला चुनाव लड़ा था लेकिन जीत नहीं मिली थी। 1969 में भी स्वतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ने पर वह पराजित हुए थे। 1974 में भारतीय क्रांतिदल (बीकेडी) से चुनाव लड़कर वह पहली बार विधायक चुने गए थे।

1996 में सपा के टिकट पर पहली बार मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद का चुनाव लड़े और जीत हासिल की थी। इसके बाद मुरादाबाद से ही दो बार और सांसद रहे। फिर संभल से दो बार सांसद चुने गए।

निधन पर राजनीतिक दलों ने जताया शोक

संभल के सांसद डॉ. शकीकुर्रहमान बर्क के निधन पर सपा, बसपा और कांग्रेस ने शोक जताया है। सभी नेताओं का कहना है कि डॉ. बर्क नेकदिल और बहादुर नेता थे। सपा के सांसद डॉ. एसटी हसन ने कहा कि सांसद डॉ. बर्क के रूप में क्षेत्र के लोगों ने ईमानदार और मजलूमों की आवाज उठाने वाले नेता को खो दिया है।

डॉ. बर्क निडर होकर मुसलमानों की जायज आवाज संसद से लेकर सड़क तक उठाने में हिचकते नहीं थे। उनकी कमी को पूरा किया जाना मुश्किल हैं। लंबे समय तक अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने ईमानदारी से समझौता नहीं किया। सपा के जिलाध्यक्ष डीपी यादव का कहना था कि डॉ. शफीकुर्रहमान पार्टी के कद्दावर नेता थे।

निधन की जानकारी मिलने पर पार्टी के लोग गमगीन हैं। पार्टी के प्रदेश सचिव फिरासत हुसैन गामा का कहना था कि 25 साल पहले 1996 में उन्होंने सलाहकार समिति का सदस्य बनाया था। तभी से वह डॉ. बर्क सपा के सिपाही के रूप में कार्य कर रहे हैं।

बसपा के जिलाध्यक्ष डॉ. सुनील आजाद ने सांसद डॉ. बर्क के निधन पर शोक जताया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता असद मोलाई ने सांसद डॉ. बर्क के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वे निडर और जनता के लिए सच्चे हमदर्द थे। अल्लाह उनको जन्नत अता फरमाए। कोऑरेटिव के पूर्व चैयरमैन राजेश यादव ने भी डॉ. बर्क के निधन पर शोक जताया है।

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