हरियाणा में सिर्फ चार ट्रेनिंग सेंटर सरकारी हैं। बाकी सभी प्राइवेट और भगवान भरोसे हैं। ड्राइविंग स्कूल कई मानकों पर खरे नहीं हैं। तकनीकी दक्षता का अभाव है। ड्राइविंग स्कूलों में प्रशिक्षकों को ट्रैफिक का पूरा ज्ञान नहीं है।
केंद्रशासित राज्य होने के कारण चंडीगढ़ में सड़क यातायात के नियमों का अनुपालन बेहद सख्त है। हरियाणा और पंजाब के लोग जब भी अपने वाहनों से चंडीगढ़ आते हैं, नियमों का अनुपालन नहीं करने की वजह से यातायात पुलिस द्वारा उनके पकड़ लिया जाता है।
सील बेल्ट नहीं लगाने, नंबर प्लेट में खामियां, गाड़ी का काला शीशा, वाहन की तेज गति, गलत साइड ड्राइविंग, लाल बत्ती की क्रासिंग, बीम लाइट का इस्तेमाल और स्लिप रोड का इस्तेमाल नहीं करने समेत जिन गलतियों के लिए हरियाणा और पंजाब के इन वाहन चालकों के चालान काटे जाते हैं, उनके लिए वह गलतियां हैं ही नहीं, क्योंकि उन्हें शुरू से यह नहीं बताया-सिखाया गया कि सड़क पर वाहन चलाने के नियम क्या हैं और उनका अनुपालन क्यों जरूरी है।
अपने रोड आडिट अभियान के दौरान दैनिक जागरण की टीम इस नतीजे पर पहुंची कि जब यातायात पुलिस द्वारा अधकचरे वाहन चालकों को पकड़कर जुर्माना लगाया जाता है, तब उन्हें सड़क पर चलने के नियमों का अनुपालन करने की जरूरत महसूस होती है। उससे पहले न तो नियमों के प्रति लोग जागरूक होते हैं और न ही उन्होंने कभी इनकी कोई परवाह की। यहां एक बड़ा सवाल यह उभरकर सामने आया कि घर में ही ड्राइवर तैयार होकर सड़कों पर उतरना तथा प्रदेश में जगह-जगह खुले प्राइवेट ड्राइविंग स्कूलों में मात्र एक सप्ताह से दो सप्ताह की ट्रेनिंग सुरक्षित ड्राइविंग के लिए कहां तक कारगर है।
हरियाणा में कैथल, बहादुरगढ़, रोहतक और करनाल चार ऐसे केंद्र हैं, जहां बड़ी प्राइवेट कंपनियों के साथ मिलकर सरकार ने अधिकृत ड्राइविंग स्कूल खोले हुए हैं। हालांकि आठ नए ड्राइविंग स्कूल खोलने की योजना सरकार के विचाराधीन है, लेकिन प्रदेश में इन चार अधिकृत ड्राइविंग स्कूलों के अलावा जितने भी प्राइवेट ड्राइविंग स्कूल हैं, वह रामभरोसे हैं।
इन स्कूलों में लाइसेंस किसी के नाम पर हैं तो ड्राइविंग सिखा कोई दूसरा रहा है। अधिकतर स्कूलों ने तो सरकार के परिवहन विभाग से मान्यता तक नहीं ली हुई है। इन्हीं स्कूलों में अधकचरे ड्राइवर, असुरक्षित ड्राइविंग और सड़कों पर चलने के नियमों का अधकचरा ज्ञान बांटा जा रहा है, जो सड़क पर बड़ी दुर्घटनाओं का कारण बन रहा है।
हरियाणा में सैकड़ों अवैध कार ड्राइविंग स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। इन स्कूलों के संचालक नियमों-प्रविधानों को ताक पर रखकर वाहन चालन का प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। रुपये बचाने के लिए टैक्सी परमिट वाली गाड़ियों की जगह कंडम पुरानी गाड़ियों पर नए चालकों को वाहन चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है।
समय से इन पुराने कंडम वाहनों की फिटनेस नहीं कराई जाती। अधिकतर गाड़ियों में अवैध रूप से एलपीजी किट सेट कराई गई है, जिससे प्रशिक्षण के दौरान गाड़ी सिखाने पर खर्च तो कम आता है, लेकिन मौत को हथेली पर रखकर प्रशिक्षु इन गाड़ियों में वाहन चलाना सीखने की औपचारिकता निभाते हैं। इन गाड़ियों में घरेलू गैस सिलेंडरों से री-फिलिंग भी की जाती है, जो काफी खतरनाक होती है।
यह हैं ड्राइविंग स्कूलों के लिए नियम
ड्राइविंग स्कूल द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले वाहन टैक्सी के रूप में रजिस्टर्ड होने चाहिए। इनका रजिस्ट्रेशन, बीमा, फिटनेस और लाइफटाइम टैक्स भी जमा होना चाहिए। ड्राइविंग स्कूल जिन श्रेणियों के वाहनों के प्रशिक्षण के लिए अधिकृत हैं, उन श्रेणियों का एक-एक वाहन होना चाहिए।
स्कूल संचालक इन वाहनों का मालिक होना चाहिए। ड्राइविंग सिखाने वाले वाहन यदि टैक्सी परमिट वाले रखे जाएंगे तो परमिट का टैक्स ही वाहन की कीमत से अधिक पड़ जाएगा। इसलिए ड्राइविंग स्कूल संचालक एक वाहन खानापूर्ति के लिए परमिट वाला लेते हैं, शेष प्राइवेट वाहनों पर अवैध तरीके से प्रशिक्षण दिया जाता है। लोगों को किसी अच्छे और लाइसेंसप्राप्त स्कूल में ही वाहन चलाने की ट्रेनिंग लेने की जरूरत है।
हरियाणा में खुलेंगे आठ नए प्रशिक्षण संस्थान
अनेक सड़क दुर्घटनाएं चालकों के पास कौशल और सड़क नियमों के ज्ञान की कमी के कारण होती हैं। इसलिए सरकार ने चालक बनने के इच्छुक युवाओं को उपयुक्त प्रशिक्षण देने की योजना बनाई है। कैथल, बहादुरगढ़, रोहतक और करनाल में आधुनिक सुविधाओं और बुनियादी ढांचे से लैस चालक प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान स्थापित किए जा चुके हैं।
अशोक लीलैंड और मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड जैसे मूल उपकरण निर्माता इन परियोजनाओं में भागीदार हैं। इनके अलावा आठ अन्य संस्थान खुलने जा रहे हैं। इनमें जिला भिवानी में कालूवास, नूंह में छपेड़ा, रेवाड़ी में जयसिंहपुर खेड़ा, जींद में पेगा, सोनीपत में मुरथल, यमुनानगर में औरंगाबाद, पलवल में बहिन और जिला फरीदाबाद में खेड़ी गुजरां शामिल हैं।
जिला गुरुग्राम में क्षेत्रीय चालक प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित किया जाएगा। आज देश-विदेश में प्रशिक्षित ड्राइवरों की बड़ी जरूरत है। इन केंद्रों की स्थापना से प्रदेश में बड़ी संख्या में बेरोजगार युवकों को देश-विदेश में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंग
सड़क दुर्घटनाओं में 50 प्रतिशत कमी लाने का लक्ष्य
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल का कहना है कि भारत में प्रतिवर्ष लगभग पांच लाख सड़क हादसे होते हैं। इनमें लगभग 1.5 लाख लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। देश में सड़क दुर्घटनाओं में हरियाणा राज्य 13वें स्थान पर आता है और राज्य सरकार, सड़क सुरक्षा के प्रति बहुत गंभीर है। सड़क सुरक्षा के सभी कार्यों के लिए राज्य सरकार द्वारा परिवहन विभाग, हरियाणा को लीड एजेंसी घोषित किया गया है।
मनोहर लाल ने कहा कि सरकार का लक्ष्य सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के कारणों का सर्वेक्षण कर और उनके कारणों को सुधार करके राज्य में हो रही इन दुर्घटनाओं में 50 प्रतिशत की कमी लाना है, जिसके लिए हम सभी को और अधिक प्रयत्न करने होंगे। सड़क सुरक्षा एक बहुआयामी विषय है। इसमें केवल मात्र सरकार की ही भूमिका नहीं है, बल्कि जनता, गैर-सरकारी संस्थाओं और उद्योगों को भी आगे आना होगा, तभी हम एक सुरक्षित सड़क तंत्र स्थापित कर सकते हैं। हमने बेहतरीन प्रशिक्षण खोले हैं और आगे भी खोलेंगे। साथ ही अवैध प्रशिक्षण संस्थानों पर रोक लगाने का काम करेंगे।