नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कानून के तहत अपराध करने के लिए ‘तैयारी’ और ‘प्रयास’ के बीच अंतर स्पष्ट करते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के एक फैसले को रद्द कर दिया। हाई कोर्ट ने साल 2005 में दो नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार के प्रयास के सख्त आरोप से एक व्यक्ति को बरी कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को रद्द करते हुए आरोपी को तत्काल जेल में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अपराध के लिए शर्तों, ‘तैयारी’ और ‘प्रयास’, के बारे में विस्तार से चर्चा की।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपराध के प्रयास में इरादा व “नैतिक अपराध” शामिल है। अपराध का प्रयास भी समाज के लिए उतना ही खतरनाक है। सामाजिक मूल्यों पर इसका प्रभाव वास्तविक अपराध से कम नहीं होता है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मध्य प्रदेश सरकार की एक अपील पर आया है। सुप्रीम कोर्ट ने एमपी हाई कोर्ट के फैसले को “त्रुटिपूर्ण” बताया। उच्च न्यायालय ने आठ और नौ साल की दो बच्चियों से बलात्कार के प्रयास के कठोर आरोप से यह कहते हुए एक अभियुक्त को बरी कर दिया था कि उसने केवल तैयारी की थी। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि आरोपी ने नाबालिगों के साथ बलात्कार का प्रयास नहीं किया था।
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