स्वस्तिक चिह्न को बेहद ही पवित्र माना जाता है और इसे भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता है। स्वस्तिक चिह्न को सकारात्मक ऊर्जा से जोड़कर देखा जाता है और इसे बनाने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है। इसलिए किसी भी पूजा को शुरू करने से पहले स्वस्तिक चिह्न को जरूर बनाया जाता है। इसलिए आप जब भी स्वस्तिक चिह्न को बनाएं तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें….
– स्वस्तिक चिन्ह बनाते समय आप इस बात का ध्यान जरूर रखें की आप कभी भी उल्टा स्वस्तिक पूजा करते समय ना बनाएं। पूजा या कोई भी शुभ कार्य करते समय उल्टा स्वस्तिक बनाना शुभ नहीं माना जाता है।
– अगर आपकी कोई मनोकामना है तो आप मंदिर में उल्टा स्वस्तिक बना दें। उल्टा स्वस्तिक बनाते समय आप अपने मन में अपनी मनोकामना बोल लें। वहीं जब आपकी मनोकामना पूरी हो जाए तो आप मंदिर में सीधा स्वस्तिक बना दें।
– स्वस्तिक चिन्ह को आप केवल हल्दी और तिलक (लाल सिंदूर) से ही बनाएं और भूलकर भी काले रंग से स्वस्तिक ना बनाएं। जब भी आप स्वस्तिक बनाएं तो आप इस बात का ध्यान जरूर रखें ही स्वस्तिक एकदम सीधा होना चाहिए।
– घर में बुरी नजर लगने पर आप गोबर का स्वस्तिक बनाएं। ऐसा माना जाता है कि गोबर का स्वस्तिक बनाने से बुरी नजर उतर जाती है और घर पर किसी की भी बुरी नजर नहीं लगती है।
– आप जिस जगह पर इस चिन्ह को बनाएं उस जगह को पहले अच्छे से साफ कर लें और फिर ही इस चिन्ह को बनाएं।
– पूजा करते समय आप चावल की मदद से भी स्वस्तिक बना सकते हैं और इसके ऊपर सुपारी भी रख सकते हैं।
जिन लोगों के जीवन में शादी से जुड़ी समस्याएं चल रही है वो लोग अपने पूजा घर में हल्दी का स्वस्तिक बना लें।
– गृह प्रवेश के दौरान आप घर के मुख्य दरवाजे पर हल्दी की मदद से स्वस्तिक बना सकते हैं। जबकि हवन के दौरान कुमकुम का स्वस्तिक बनाना शुभ माना जाता है।
– घर में वास्तु दोष होने पर घर के बाहर दो स्वस्तिक चिन्ह बना लें। ऐसा करने से घर का वास्तु दोष एकदम सही हो जाएगा और घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो जाएगा।
– दीपावली या किसी भी त्योहार के दिन भी स्वस्तिक चिन्ह बनाना काफी शुभ माना जाता है।
– जब भी किसी नई दुल्हन का ग्रह प्रवेश होता है तो उसके द्वारा घर के दरवाजे पर स्वस्तिक चिन्ह बनाना अच्छा माना जाता है और ऐसा करने से घर में लक्ष्मी मां का प्रवेश होता है।