अमेरिका ने currency monitoring list से भारत को बाहर निकाला..

भारत में होने वाले जी-20 सम्‍मेलन से पहले ही भारत को अमेरिका द्वारा currency monitoring list से बाहर करने की खबर वास्‍तव में राहत भरी है। इससे आने वाले समय में दोनों देशों के बीच व्‍यापारिक रिश्‍ते और मजबूत होंगे।

 अमेरिका ने भारत को भारत का नाम अपनी मुद्रा निगरानी सूची से हटा दिया है। ये भारत के लिए एक बड़ी राहत मानी जा रही है। अमेरिका ने इसकी घोषणा ऐसे समय में की है जब अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन भारत के दौरे पर हैं और कुछ समय बाद अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन की पीएम नरेन्‍द्र मोदी से जी-20 सम्‍मेलन में मुलाकात होनी तय मानी जा रही है। ऐसे में अमेरिका के इस फैसले के कई बड़े अर्थ भी निकाले जा रहे हैं। अमेरिका ने ये फैसला अपने ट्रेजरी विभाग की दी गई रिपोर्ट के आधार पर लिया है। हाल ही में ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने एक रिपोर्ट कांग्रेस सौंपी थी। इस द्विवार्षिक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत का नाम अब मुद्रा निगरानी सूची से हटा दिया गया है। इसका सबसे बड़ा फायदा दोनों देशों के बीच व्‍यापारिक रिश्‍तों को होगा। आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच व्‍यापार और बढ़ेगा। 

इन देशों का नाम भी हटाया गया

भारत के अलावा जिन देशों का नाम इस सूची से हटाया गया है उसमें इटली, मैक्सिको, थाईलैंड और वियतनाम का नाम भी शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन देशों ने तीन मानदंडों में से एक को पूरा किया है, जिसके चलते इनका नाम इस लिस्‍ट से हटाया गया है। लगातार दो रिपोर्ट में भारत और दूसरे देशों के बारे में इसी तरह की रिपोर्ट सामने आई थी

कब डाला था इस लिस्‍ट में भारत का नाम 

बता दें कि अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने इसी वर्ष जून में अपने महत्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष (trade surplus) के कारण भारत को करेंसी मैनिपुलेटर की निगरानी सूची में रखा था। विश्‍व में फैली कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद भारत का नाम तीसरी बार इस सूची में शामिल किया गया था।

किस रिपोर्ट के बाद भारत को इस लिस्‍ट से निकाला 

गौरतलब है कि अमेरिका का ट्रेजरी डिपार्टमेंट अपने प्रमुख भागीदारों की मुद्रा पर निगरानी के लिए इस सूची को तैयार करता है। इसमें वो प्रमुख व्यापारिक भागीदारों की मुद्रा को लेकर गतिविधियों और उनकी दूसरी मोनेटरिंग पालिसी पर काफी बारीकी से नजर रखता है। पिछले दो साल से भारत अमेरिकी की इस मुद्रा निगरानी सूची में शामिल था।

ये देश अब भी इस लिस्‍ट में शामिल 

अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट की लिस्‍ट में फिलहाल चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान का नाम इस सूची में बरकरार रखा गया है। चीन को लेकर रिपोर्ट में स्‍पष्‍ट कहा गया है कि वो अपने विदेशी विनिमय हस्तक्षेप को प्रकाशित करने में विफल रहा है। विनिमय दर तंत्र में पारदर्शिता की कमी के बारे में भी इस रिपोर्ट में कहा गया है।

किस आधार पर तैयार होती है रिपोर्ट 

आपको बता दें कि अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट की ये सूची को तीन मापदंडों के आधार पर तैयार किया जाता है। इसमें पहला है कि क्या वो देश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अनुचित प्रतिस्पर्धात्मक लाभ हासिल करने के लिए या भुगतान संतुलन समायोजन का फायदा उठाने के लिए अपनी मुद्रा और अमेरिकी डालर के बीच विनिमय दर में हेराफेरी तो नहीं कर रहा है। इसके अलावा अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष का आकार, चालू खाता अधिशेष और विदेशी मुद्रा बाजार में लगातार एकतरफा हस्तक्षेप की कसौटी पर भी उस देश को कसा जाता है।

ये भी हैं आधार 

इसके अलावा, यह विदेशी मुद्रा आरक्षित कवरेज, मुद्रा विकास, विनिमय दर प्रथाओं, पूंजी नियंत्रण और मौद्रिक नीति पर भी विचार किया जाता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक जून के अंत में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 526.5 अरब डालर था। ये भारत की जीडीपी का करीब 16 फीसद है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत अमेरिका के साथ 48 अरब डॉलर का ट्रेड सरप्‍लस भी था। रिपोर्ट में स्‍पष्‍ट किया गया है कि भारत आर्थिक नीति में ट्रांसपेरेंसी तय की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Time limit exceeded. Please complete the captcha once again.