इस साल देव दिवाली का पावन पर्व 5 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाएगा, जिसका शुभ मुहूर्त 4 नवंबर की रात 10:36 बजे से 5 नवंबर की शाम 06:48 बजे तक रहेगा। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था, जिसकी खुशी में काशी में देवता दिवाली मनाते हैं; अतः गंगा स्नान, दीपदान और शिव पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है।सनातन धर्म में देव दिवाली त्योहार का भी काफी महत्व है। दीपावली पर्व को धूमधाम और रोशनी से मना लिया गया है, इसके बाद देव दिवाली भी आ रही है। इस पर्व को देवताओं की दीपावली के रुप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। इसी दिन सभी देवता काशी में उतरते हैं और दीवाली मनाते हैं। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा, गंगा में स्नान और दीप दान करने से हर इच्छा पूरी होती है। इसके साथ ही मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
कब है देव दीपावली का त्योहार?
हर साल की तरह कार्तिक पूर्णिमा की तिथि पर देव दिवाली का पर्व मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि 05 नवंबर को मनाई जाएगी और इसी दिन देव दिवाली मनाई जाएगी। इस दिन कशी नगरी को दीपों से सजाया जाता है और देवतागण कशी नगरी में उतरकर दिवाली मनाते हैं।
देव दिवाली का शुभ मुहूर्त क्या है
इस बार देव दिवाली का मुहूर्त कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर, मंगलवार को रात 10 बजकर 36 मिनट पर शुरु होगी और अगले दिन 5 नवंबर, बुधवार को शाम 06 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगी। इस बार देव दीपावली का पर्व कल यानी 5 नवंबर को मनाया जाएगा।
देव दिवाली पर क्यों किया जाता दीपदान
देव दिवाली पर दीपदान करना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध कर देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। इसी खुशी में देवताओं ने दिवाली की तरह दीप प्रज्वलित किए थे। इस दिन से ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान करना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार,दीपदान करने से समस्त नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है इसके साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा बनीं रहती है।
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