यूपी के हेल्थ सेक्टर को और चंगा कर रहे बड़े निवेशक

– सरकार को मिला निजी क्षेत्र का साथ और नीति आयोग की तारीफ़

– नौ जिलों में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज के लिए मिले 17 प्रस्ताव

लखनऊ। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने गत सोमवार को यह कहा कि उत्तर प्रदेश देश के उन बड़े राज्यों में शीर्ष पर है, जिनके स्वास्थ्य तंत्र में उल्लेखनीय सुधार आया है। यूपी में यह बदलाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए के किए जा रहे प्रयासों के चलते हुआ है। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए किये जा रहे प्रयासों के चलते ही मात्र आठ महीनों में 551 ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए हैं। कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए कोविड टीकाकरण का अभियान चलाया जा रहा है,  ऑक्सीजन कंसंट्रेटरों तथा बेड की संख्या में इजाफा किया गया है। इसके अलावा प्रदेश के नौ जिलों में पब्लिक,प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए 17 निवेशकों ने पहल की है। मेडिकल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में बड़े निवेशक राज्य के कई जिलों में निवेश कर रहे हैं। 

राज्य में बड़े निवेशकों के जरिए यूपी को मेडिकल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग तथा दवा निर्माण का हब बनाने और चिकित्सा सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता में आते ही कार्य शुरू किया था। इसके तहत ही उन्होंने राज्य में मेडिकल डिवाइस पार्क के निर्माण का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा और प्रदेश के हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज खोलने का फैसला लिया। मुख्यमंत्री के इस निर्णय से हेल्थ सेक्टर में निवेश करने में निजी क्षेत्र के निवेशकों ने रुचि दिखायी। जिसके तहत राज्य के नौ जिलों में  पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने और उसके संचालन में 17 व्यवसायिक समूहों ने पहल की। यह मेडिकल कॉलेज केंद्र की मदद से खोले जाने हैं। इसी क्रम में नौ मेडिकल कॉलेजों का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जा चुका है। जबकि 14 अन्य मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी मिल चुकी है, जिनमें कई का शिलान्यास भी हो चुका है। राज्य के 16 जिले ऐसे हैं जहां पीपीपी मोड में मेडिकल कॉलेज खोले जाने हैं। इनमें बागपत, हाथरस, रामपुर, संभल, शामली, महाराजगंज, कासगंज, मऊ, श्रावस्ती, चित्रकूट, बलिया, भदोही, हमीरपुर, महोबा, मैनपुरी, संत कबीर नगर जिले शामिल हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग को बागपत, हाथरस, रामपुर, संभल, शामली, महाराजगंज, कासगंज, मऊ, श्रावस्ती जिलों में मेडिकल कॉलेज के लिए निजी क्षेत्र से कुल 17 प्रस्ताव मिले हैं। इसमें तीनों श्रेणियों में आवेदन किए गए हैं। हाथरस और संभल में सर्वाधिक तीन-तीन प्रस्ताव मिले हैं। जबकि बागपत, रामपुर, शामली और कासगंज में दो-दो प्रस्ताव आए हैं। बाकी जिलों में एकल प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। जबकि चित्रकूट, बलिया, भदोही, हमीरपुर, महोबा, मैनपुरी, संत कबीर नगर जिलों में विभाग को अभी प्रस्तावों का इंतजार है।

चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पहली केटेगरी में जमीन और पूरा निवेश निजी क्षेत्र का होगा। दूसरी केटेगरी में मेडिकल कॉलेज की जमीन और बिल्डिंग निवेशक की होगी जबकि अस्पताल सरकारी होगा और सी केटेगरी में मेडिकल कॉलेज भवन और अस्पताल दोनों ही सरकारी होंगे, मगर संचालन निजी क्षेत्र द्वारा किया जाएगा। राज्य सरकार वित्तीय व गैर वित्तीय सहायता देगी। पांच वर्ष के लिए लागत पर पांच प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी दी जाएगी, जो अधिकतम एक करोड़ प्रतिवर्ष होगी। इसी प्रकार मेडिकल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में जल्दी ही उत्तर प्रदेश का एक बड़ा हब बनाने के क्रम में नोएडा में मेडिकल डिवाइस पार्क की स्थापना को केंद्र सरकार की मंजूरी मिल गई है। इस पार्क के निर्माण को लेकर नोएडा में कार्रवाई की जा रही है, इसके अलावा दवाओं के निर्माण के लिए भी सरकार ने बीते माह कई फैसले लिए हैं। जिसके चलते राज्य में वर्ष 2018 में बनाई गई फार्मास्यूटिकल नीति में संशोधन कर नई फार्मास्यूटिकल नीति लाने का फैसला किया है। इस नई नीति में किए जाने वाले संशोधनों से सरकार कच्चे माल के रूप में एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट (एपीआई) निर्माण करने वाली कंपनियां यूपी में आने की पहल की है। जल्दी ही दवा निर्माण के क्षेत्र में कार्यरत देश तथा विदेश की बड़ी दवा कंपनियां यूपी में आएंगी। और दवाओं के कच्चे माल के आयात के लिए चीन पर निर्भरता कम होगी और यूपी दवा निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा। प्रदेश सरकार द्वारा हेल्थ सेक्टर को बेहतर करने को लेकर किए गए प्रयासों का ही यह नतीजा है, जिसके चलते नीति आयोग प्रदेश सरकार की तारीफ़ कर रहा है और बड़े निवेशक भी मेडिकल कालेज की स्थापना के लिए आगे आ रहे हैं।