Cyber Fraud पर सरकार लेगी सख्त एक्शन, AI से होगा फ्रॉड डिटेक्शन और SIM ब्लॉकेज

भारत को आर्थिक और समाजिक रूप से जोड़ने में डिजिटलीकरण ने अभूतपूर्व भूमिका निभाई है। 86 प्रतिशत से ज्यादा घर अब इंटरनेट से जुड़े हुए हैं। लेकिन इस इंटरनेट की बहुच बढ़ने के साथ ही साइबर फ्रॉड और ऑनलाइन धोखाधड़ी की घटनाओं में भी तेजी आई है। 2022 में दर्ज साइबरक्राइम की 10.29 लाख घटनाएं बढ़कर 2024 में 22.68 लाख तक पहुंच चुकी हैं। ये आंकड़े दिखाते हैं कि डिजिटल पहुंच के साथ-साथ साइबर सुरक्षा को भी प्राथमिकता देने की जरूरत है। 

अब साइबर फ्रॉड से निपटने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने Curbing Cyber Fraud in Digital India नामक एक पहल पेश की है जिसका उद्देश्य धोखाधड़ी की रोकथाम, त्वरित प्रतिक्रिया और नागरिकों के लिए सुरक्षित डिजिटल माहौल सुनिश्चित करना है। भारत सरकार ने साइबर फ्रॉड से निपटने के उपायों और संभावित चुनौतियों और आम नागरिकों के लिए प्रायोगिक सुझावों की विस्तृत जानकारी इस रिपोर्ट में दी है। 

इन प्रमुख आंकड़े क्या है मायने

इंटरनेट आसानी से उपलब्ध- देश के बड़े हिस्से में डिजिटल की पहुंच हो चुकी है। अभी 86 प्रतिशत घर इंटरनेट से जुड़े हैं जो इंटरनेट सर्विसेज और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन कर रहे हैं। ग्राहकों के लिए ये एक मौका तो है लेकिन इसका जोखिम भी है। 

साइबर घटनाओं में तेज वृद्धि- साइबर सुरक्षा घटनाएं 10.29 लाख से 22.68 लाख तक बढ़ीं। ये इजाफा केवल रिपोर्टिंग बढ़ने का संकेत नहीं, बल्कि हमले की विविधता और जटिलता में इजाफा भी दर्शाती है। 

वित्तीय असर- नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर रिपोर्टेड फ्रॉड का कुल वित्तीय आंकलन सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, काफी बड़ा है। 

सरकार ने उठाए ये बड़े कदम

रिपोर्ट के अनुसार, कई व्यावहारिक और संरचनात्मक पहल बताई गई हैं। 

रिपोर्टिंग और हेल्पलाइन- नागरिकों के लिए सेंट्रलाइज्ड रिपोर्टिंग पोर्टल और 1930 हेल्पलाइन है जो तेज शिकायत निवारण और संभावित ट्रांजैक्शन-फ्रीज जैसे S तत्काल कदम उठाने में मदद कर सकती है। ये पीड़ितों के लिए पहला संपर्क बिंदु है। 

ब्लॉकेज और रिस्पॉन्स- अब तक 9.42 लाख से अधिक सिम कार्ड और 2,63,348 IMEIs ब्लॉक किए जा चुके हैं। ये धोखाधड़ी में इस्तेमाल किए जाने वाले साधनों डिवाइसों पर कड़ा कदम है। 

AI/ML आधारित डिटेक्शन- धोखाधड़ी पैटर्न को पहचानने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग लागू किए जा रहे हैं। इससे संदिग्ध व्यवहार पहले से चिह्नित होकर रोकथाम की कार्रवाई तेज होगी।

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