इंडोनेशिया की इस्लामिक संस्था ने क्रिप्टो करेंसी को लेकर जारी किया फतवा
नई दिल्ली। इंडोनेशिया की इस्लामिक संस्था ने क्रिप्टो करेंसी को लेकर फतवा जारी किया है। इंडोनेशिया की उलेमा काउंसिल की तरफ से कहा गया है कि क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल करना इस्लाम में हराम है। हालांकि इस्लामिक संस्था की तरफ से यह भी कहा गया है कि इसके तहत डिजिटल संपत्ति की ट्रेडिंग की अनुमति दी जा सकती है। इंडोनेशिया में दुनिया के सबसे ज्यादा मुस्लिम रहते हैं। गुरुवार को संस्था की तरफ से कहा गया कि क्रिप्टो को करेंसी की तरह इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगाई जाती है। लेकिन इसमें निवेश और डिजिटल टोकन की ट्रेडिंग कमोटिडी में की जा सकती है।
संबंधित मंत्रालय की तरफ से इससे पहले बताया गया था कि कमोडिटी के क्षेत्र में क्रिप्टो करेंसी ट्रेडिंग की वैल्यू अभी 370 ट्रिलियन है। साल 2020 के अंत तक कुल ट्रेडिंग 65 ट्रिलियन रुपए तक थी। ट्रेडर्स की संख्या भी 4 मिलियन से बढ़कर 6.5 मिलियन तक पहुंच गई है।
इस्लामिक संस्था के धार्मिक हुक्मनामा प्रमुख एसरोरुन नियाम सोलेह ने कहा कि शरीया कानून के मुताबिक भुगतान के लिए क्रिप्टो करेंसी हराम है क्योंकि यह अस्थिर और नुकसानदेह है। इसके इस्तेमाल से कानून का उल्लंघन होता है।
कमोडिटी के तौर पर क्रिप्टो करेंसी की ट्रेडिंग भी कानून के खिलाफ है। इस्लामिक संस्था ने इसे जुआ बताया है क्योंकि यह इस्लाम के नियमों से ताल्लुक नहीं रखता। हालांकि, संस्था ने क्रिप्टो करेंसी की ट्रेडिंग की अनुमति फिलहाल दी है जिसमें संपत्ति का पता हो और मुनाफे के बारे में जानकारी दी गई हो।
हालांकि, संस्था के इस फतवे का मतलब यह नहीं कि इस करेंसी को कानूनी तौर से नकार दिया गया है। लेकिन संस्था के इस फतवे से इस क्षेत्र में निवेश को नुकसान जरुर पहुंच सकता है।