केंद्र ने भूस्खलन की घटनाओं में कमी लाने के लिए 125 करोड़ की परियोजना को दी मंजूरी, CM धामी ने किया स्वागत

उत्तराखंड में भूस्खलन की आवर्ती समस्या के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केंद्र सरकार ने भूस्खलन शमन के लिए 125 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी है और अन्वेषण तथा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए पहले चरण में 4.5 करोड़ रुपये जारी किए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस कदम का स्वागत करते हुए इसे “राज्य के आपदा-संवेदनशील क्षेत्रों में भूस्खलन की समस्या का दीर्घकालिक समाधान खोजने की दिशा में एक निर्णायक पहल” बताया। उन्होंने कहा कि परियोजना के तहत पाँच अति संवेदनशील और अक्सर प्रभावित होने वाले स्थानों को राहत कार्यों के लिए प्राथमिकता दी गई है। इनमें मनसा देवी हिल बाईपास रोड (हरिद्वार), गलोगी जलविद्युत परियोजना रोड (मसूरी), बहुगुणा नगर भू-धंसाव क्षेत्र (कर्णप्रयाग, चमोली), चार्टन लॉज भूस्खलन क्षेत्र (नैनीताल), और खोतिला-घाटधार भूस्खलन क्षेत्र (धारचूला, पिथौरागढ़) शामिल हैं। 

कांवड़ यात्रा के दौरान इस मार्ग का उपयोग वैकल्पिक मार्ग के रूप में भी किया जाता है। इस आपदा से अनुमानित 50,000 की स्थानीय आबादी प्रभावित होती है। मसूरी क्षेत्र में गलोगी जल विद्युत परियोजना मार्ग, देहरादून-मसूरी मार्ग पर स्थित है। यहाँ मानसून के दौरान नियमित रूप से भूस्खलन होता है, जिससे यातायात प्रभावित होता है और सड़क अवसंरचना को गंभीर नुकसान पहुँचता है। चमोली जिले में, कर्णप्रयाग का बहुगुणानगर क्षेत्र भू-धंसाव से प्रभावित है, जिससे आवासीय भवनों और सड़कों को गंभीर नुकसान पहुँच रहा है। अधिकारियों ने बताया कि यह क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टि से अत्यंत अस्थिर है। 

इसी प्रकार, नैनीताल का चार्टन लॉज क्षेत्र सितंबर 2023 में भूस्खलन से प्रभावित हुआ था, जिसके कारण कई परिवारों को अस्थायी रूप से उस स्थान से स्थानांतरित कर दिया गया था। जल निकासी की अपर्याप्त सुविधा और लगातार बारिश को भूस्खलन का प्रमुख कारण माना जा रहा है। पिथौरागढ़ जिले के धारचूला क्षेत्र में खोतिला-घाटधार भूस्खलन क्षेत्र भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है। अधिकारियों ने बताया कि यह भारी बारिश और कटाव से प्रभावित है, जिससे सीमावर्ती क्षेत्र में भूमि के नुकसान की गंभीर स्थिति पैदा हो गई है। इस परियोजना के प्रस्ताव राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) और उत्तराखंड भूस्खलन शमन एवं प्रबंधन केंद्र (यूएलएमएमसी), देहरादून द्वारा तैयार किए गए थे। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और गृह मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में इसे मंजूरी दी।

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