उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति व सामान्य वर्ग के गरीब व जरूरतमंद छात्र-छात्राओं को दी जा रही सरकारी छात्रवृत्ति और फीस भरपाई की सुविधा के मानक बदले जाएंगे। अगले शैक्षिक सत्र से नये मानकों पर आवेदकों को छात्रवृत्ति और फीस भरपाई मिल पाएगी।
अभी तक छात्रवृत्ति और फीस भरपाई की सुविधा की पात्रता के मानकों में 75 प्रतिशत से अधिक उपस्थिति और सर्वाधिक प्राप्तांक हैं। इसी के साथ पहले सरकारी, फिर अनुदानित और फिर निजी शिक्षण संस्थानों के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति और फीस भरपाई दी जाती है। मगर अब इन मानकों में कुछ बदलाव किया जाएगा।
प्रदेश के समाज कल्याण राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार असीम अरुण ने बातचीत में यह संकेत दिया। उन्होंने कहा कि यह देखा जाना जरूरी है कि छात्रवृत्ति और फीस भरपाई की सहूलियत की किन छात्र-छात्राओं को नितांत आवश्यकता है। यही नहीं समाज कल्याण मंत्री अपने विभाग की योजनाओं के क्रियान्वयन की मौजूदा रफ्तार से भी संतुष्ट नहीं हैं।
इसी क्रम में हाल ही में समाज कल्याण निदेशालय स्तर पर छात्रवृत्ति और फीस भरपाई योजना का काम सम्भाल रहे अधिकारियों को बदला भी गया है। निदेशक समाज कल्याण राकेश कुमार भी हटाये जा चुके हैं। चालू शैक्षिक सत्र में सामान्य वर्ग के कक्षा दस से ऊपर की कक्षाओं व पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति और फीस भरपाई की सुविधा देने के लिए सिर्फ 400 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत हुआ है।
2019-20 तक यह 825 करोड़ रुपये हुआ करता था। बजट कम मिलने की वजह से बड़ी तादाद में सामान्य वर्ग के गरीब व जरूरतमंद छात्र-छात्राएं छात्रवृत्ति व फीस भरपाई की सुविधा पाने से वंचित रह जाएंगे। हालांकि आवेदन से वंचित छात्र-छात्राओं को आवेदन का एक और मौका देने के लिए समाज कल्याण ने अपना छात्रवृत्ति पोर्टल फिर खोला है और आवेदन की अंतिम तारीख 26 दिसम्बर तय की है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार भी भारी संख्या में आवेदन आएंगे।