
ऐसे में जबकि भारत के पहले वर्चुअल स्कूल शुरू किए जाने का दावा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के एनआइओएस और दिल्ली सरकार द्वारा किया जा रहा है आइए जानते हैं दोनों सरकारों के वर्चुअल स्कूलों के बीच का फर्क।
भारत के पहले वर्चुअल स्कूल शुरू किए जाने का दावा दिल्ली सरकार द्वारा किए जाने के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआइओएस) ने उसका खण्डन किया और इसे अगस्त 2021 से ही संचालित किए जाने के साथ वर्चुअल ओपेन स्कूल से सम्बन्धित आकड़े प्रस्तुत किये। इस पर, दिल्ली सरकार ने अपने दावे पर अडिग रहते हुए एक बार फिर से राष्ट्रीय बोर्ड एनआइओएस के दावे पर पलटवार किया गया कि ऑनलाइन क्लासेस और वर्चुअल स्कूल में फर्क होता है और इसमें समानांतर या हाइब्रिड मॉडल नहीं होता है।हालांकि, मामला यही नहीं रूका और इस पर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डा. सुभाष सरकार ने एक बार फिर कहा कि ऑनलाइन टीचिंग और वर्चुअल टीचिंग दो अलग-अलग अवधारणाएं हैं, वर्चुअल स्कूल केवल ऑनलाइन कक्षाओं से कहीं अधिक व्यापक है और इसे सिर्फ ऑनलाइन कक्षाओं के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे में जबकि देश के पहले वर्चुअल स्कूल की शुरूआत का श्रेय लेने के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार द्वारा अपने-अपने तर्कों से किए गए दावे का समर्थन किया जा रहा है, आइए जानते हैं दोनों के बीच का अंतर।
NIOS वर्चुअल ओपेन स्कूल
सीबीएसई और सीआइएससीई की तरह ही केंद्रीय बोर्ड एनआइओएस द्वारा अपने वर्चुअल स्कूल को दरअसल ‘वर्चुअल ओपेन स्कूल’ के तौर पर प्रमोट किया जाता है, जिसकी शुरूआत अगस्त 2021 से हुई। एनआइओएस की वेबसाइट के मुताबिक, वर्चुअल ओपन स्कूल एक ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म है, जिसका उद्देश्य है पढ़ाई के नतीजों को बढ़ाने के लिए सस्ती और विश्व-स्तरीय शिक्षा की सुलभता स्टूडेंट्स को कराई जाए। एनआइओएस वर्चुअल स्कूल में विभिन्न कक्षाओं के लिए पंजीकृत 12वीं तक की कक्षाओं के छात्र-छात्राओं के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम और विभिन्न स्किल आधारित कोर्सेस के अनुसार ऑनलाइन कक्षाओं का आयोजन किया जाता है, जिसका शेड्यूल आधिकारिक वेबसाइट, virtual.nios.ac.in पर पहले ही जारी कर दिया जाता है।क्लासेस के आयोजन के बाद छात्रों को असाइनमेंट/टीएमए ऑनलाइन जारी किए जाते हैं और इन्हें हल करने के बाद छात्र अपने डैशबोर्ड पर ऑनलाइन अपलोड कर देते हैं। इन असाइनमेंट का मूल्यांकन सम्बन्धित टीचर्स/इंस्ट्रक्टर्स द्वारा किए जाने के बाद स्टूडेंट्स के मार्क्स उनके ऑनलाइन डैशबोर्ड पर उसी समय दिखने लगते हैं। एनआइओएस द्वारा इन स्टूडेंट्स के लिए पब्लिक और ऑन-डिमांड परीक्षाओं का आयोजन निर्धारित केंद्रों पर किया जाता है और उत्तीर्ण होने पर प्रमाण-पत्र जारी किया जाता है। एनआइओएस की विज्ञप्ति के अनुसार, जहां वर्ष 2022 पूरे हुए सत्र में 4.46 लाख असाइनमेंट स्टूडेंट्स ने अपलोड किए तो वहीं वर्तमान सत्र के लिए 10 लाख से अधिक असाइनमेंट का मूल्यांकन का अनुमान है।
दिल्ली सरकार का वर्चुअल स्कूल
दूसरी तरफ, देश के पहले वर्चुअल स्कूल की शुरूआत 31 अगस्त 2022 से दिल्ली में किए जाने की दावा दिल्ली के सीएम द्वारा किया गया। इसके साथ ही साझा की गई जानकारी के मुताबिक, राज्य सरकार द्वारा इसे ‘दिल्ली मॉडल वर्चुअल स्कूल’ यानि डीएमवीएस के नाम से प्रमोट किया जा रहा है। डीएमवीएस दिल्ली स्कूल शिक्षा बोर्ड (डीबीएसई) से सम्बन्ध है, इसी बोर्ड द्वारा निर्धारित सिलेबस के अनुसार ऑनलाइन क्लासेस का आयोजन करेगा। इस वर्चुअल स्कूल में स्टूडेंट्स दिल्ली सरकार द्वारा लांच किए गए ऑनलाइन पोर्टल, dmvs.ac.in पर जाकर 9वीं से 12वीं तक की कक्षाओं के लिए ऑनलाइन दाखिला ले सकते हैं। कक्षाओं के बाद स्टूडेंट्स के लिए दो टर्म-ईंड परीक्षाएं ऑनलाइन कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट (सीबीटी) आधारित होंगी, जिनके लिए छात्रों को दिल्ली आना होगा। उत्तीर्ण घोषित किए जाने पर मार्कशीट और सर्टिफिकेट डीबीएसई द्वारा जारी किए जाएंगे।