पौष मास में आज यानि 16 दिसंबर के दिन सूर्य देव वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में आज से खरमास शुरू हो जाएगा। शास्त्रों में बताया गया है कि खरमास में सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है और इसका समापन मकर संक्रांति पर होता है। इस दौरान करीब एक महीने तक सूर्य देव धनु राशि में विराजमान रहेंगे। पंचांग के अनुसार 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक खरमास रहेगा। खरमास के दौरान व्यक्ति को विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे वः कई प्रकार की समस्याओं से दूर रह सकता है। आइए जानते हैं क्यों लग जाती है खरमास में मांगलिक कार्यों में पाबंदी और इस दौरान क्या करें और क्या नहीं।
खरमास में क्यों लग जाती है मांगलिक कार्यों में पाबंदी?
शास्त्रों में बताया गया है कि सूर्य देव जब धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं तब गुरु ग्रह का बाल कमजोर हो जाता है। जबकि इन दोनों ग्रहों को मांगलिक कार्यों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में खरमास की अवधि में किए गए मांगलिक कार्यों का प्रभाव कम हो जाता है और भविष्य में व्यक्ति को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
खरमास में क्या करें और क्या नहीं
- शास्त्रों में बताया गया है कि खरमास में किसी भी प्रकार का नया व्यवसाय शुरू नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में शुरू किए गए कार्यों पर अशुभ प्रभाव पड़ता है।
- जबकि खरमास में सूर्य देव की पूजा प्रतिदिन करें और नियमित स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य जरूर दें। पौष मास में ऐसा करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है और उनकी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
- शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि खरमास में बड़े-बुजुर्ग व अपने माता-पिता का अनादर नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से सूर्य देव क्रोधित हो जाते हैं और व्यक्ति को समस्याओं का समान करना पड़ता है।
- जबकि इस दौरान नितदिन उनकी सेवा करें और उनका आशीर्वाद लें। मान्यता है कि खरमास में माता-पिता को प्रसन्न करने से कुंडली में सूर्य और चंद्र प्रसन्न होते हैं और जातक सुख-सुविधाओं का आनन्द भोगता है।