एक्सपर्ट से जानें बच्चों में होने वाले आम कैंसर और उनका उपाए

बच्चों में कैंसर का पता इतनी आसानी से नहीं लग पाता है और यही कारण है कि समय पर पता नहीं लग पाने के चलते कैंसर गंभीर स्टेज पर पहुंच जाता है। बच्चों में ल्यूकेमिया ब्रेन ट्यूमर न्यूरोब्लास्टोमा और लिम्फोमा सहित अन्य प्रकार के कैंसर होते हैं।

 कैंसर दुनियाभर में सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है। आज भी अधिकतर लोग यही समझते हैं कि कैंसर सिर्फ बड़े लोगों को ही होता है। लेकिन ऐसा नहीं है हर साल दुनियाभर में कैंसर के कारण लगभग 2 लाख से अधिक बच्चों की मृत्यु होती है। क्योंकि बच्चों में कैंसर का पता इतनी आसानी से नहीं लग पाता है और यही कारण है कि समय पर पता नहीं लग पाने के चलते कैंसर गंभीर स्टेज पर पहुंच जाता है। बच्चों में ल्यूकेमिया, ब्रेन ट्यूमर, न्यूरोब्लास्टोमा और लिम्फोमा सहित अन्य प्रकार के कैंसर होते हैं।

1. ल्यूकेमिया

बच्चों में होने वाला ल्यूकेमिया सबसे आम कैंसर है। यह अधिकतर दो से चार साल तक के बच्चों को अपनी चपेट में लेता है। यह खून और बोन मैरो (हड्डी के अंदर जहां खून बनता है) में होने वाला कैंसर है। हड्डी और जोड़ों में दर्द, थकान, कमजोरी, रक्तस्राव, लंबे समय तक बुखार और लगातार वजन कम होने पर ल्यूकेमिया कैंसर होने की संभावना हो सकती है। भारत में प्रतिवर्ष लगभग 12 हजार से अधिक बच्चों में यह कैंसर पाया जाता है।

2. ब्रेन ट्यूमर

ये बच्चों में होने वाला दूसरा सबसे प्रमुख कैंसर है। आमतौर पर ब्रेन ट्यूमर जेनेटिक सिंड्रोम या हानिकारक रेडिएशन के कारण होता है। ब्रेन ट्यूमर कई प्रकार के होते हैं और उन सभी की विशेषताएं और ट्रीटमेंट अलग-अलग है। यह बच्चों और बड़ों में बहुत अलग प्रकार का होता है। यह सिरदर्द, चक्कर आना, संतुलन में समस्या, देखने, सुनने या बोलने में समस्या, लगातार उल्टियां होने के कारण हो सकता है। 

3. न्यूरोब्लास्टोमा

यह कैंसर आमतौर पर पांच साल या उससे कम उम्र के बच्चों में पाया जाता है। न्यूरोब्लास्टोमा शरीर में पाए जाने वाली इमैच्योर नर्व सेल्स से विकसित होता है। यह अधिकतर एड्रेनल ग्लैंड यानी अधिवृक्क ग्रंथि से शुरू होती है। यह पेट, छाती और स्पायनल के पास के किसी भी भाग में हो सकता है, जहां नर्व सेल्स मौजूद होते है।

4. लिम्फोमा

यह कैंसर बच्चों और बड़ों में एक जैसा होता है। यह 5 साल तक के बच्चों में नहीं पाया जाता है। यह शरीर में सबसे पहले इम्यून सिस्टम के लिम्फोसाइट सेल्स में फैलता है। यह सेल्स इंफेक्शन से लड़ते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं। लिम्फोमा कैंसर शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित करता है।

बच्चों के कैंसर का इलाज

बच्चों में कैंसर का इलाज बड़ों के कैंसर के मुकाबले अधिक असरदार होता है। बच्चों में जरूरत के हिसाब से कीमोथेरेपी, सर्जरी और रेडिएशन थेरेपी के माध्यम से बच्चों को जल्द स्वस्थ किया जा सकता है।

कीमोथेरेपी

कीमोथेरेपी का इस्तेमाल कैंसर ठीक करने, कैंसर को नियंत्रित करने या कैंसर के लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है। बच्चों में कैंसर को ठीक करने के लिए कीमोथेरेपी अभी तक सबसे सफल मानी जाती है। जबकि बड़ों के कैंसर में कीमोथेरेपी उतनी असरदार नहीं दिखती। यह मुंह या किसी नस के जरिए दी जाती है। कीमोथेरेपी कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने का कार्य करती है।

सर्जरी

बच्चों में कैंसर के लिए सर्जरी का उपयोग आवश्यकता के अनुसार किया जाता है। क्योंकि बच्चों का शरीर नजुक, कोमल और केयर करने में मुश्किल होता है। इसलिए बच्चों को सर्जरी का उपयोग कैंसर अधिक फैलने या बढ़ने पर किया जाता है। यह ट्यूमर और आसपास के कुछ ऊतकों को हटाने के लिए की जाती है और ठोस ट्यूमर के उपचार के लिए यह एक सामान्य रूप है।

रेडिएशन थेरेपी

बच्चों के कैंसर में रेडिएशन थेरेपी का उपयोग अधिक नहीं किया जाता है। क्योंकि इसके कुछ साइड इफेक्ट्स बच्चों को थोड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं। रेडिएशन, कैंसर को नुकसान पहुंचाता है लेकिन इसके साथ ही यह पास के स्वस्थ टिशू को भी नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए बच्चों के कैंसर में कीमोथेरेपी और सर्जरी का उपयोग किया जाता है।

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