कानपुर: निशा का हत्यारा जिदंगी भर रहेगा सलाखों के पीछे

सात साल पहले लूट के बाद हुई निशा केजरीवाल की हत्या में कोर्ट ने आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट द्वारा 62 पेज के फैसले में 1.30 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया गया है।

कानपुर में सात साल पहले घर में घुसकर लूट और फिर निशा केजरीवाल की हत्या करने वाले दोषी विधि छात्र आदित्य नारायण सिंह उर्फ राघव को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। अपर जिला जज सप्तम आजाद सिंह ने 62 पेज के फैसले में 1.30 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया है। पुराना कानपुर में घर के आमने-सामने रहने वाले दोनों परिवारों में अच्छे संबंध थे।

इस घटना में निशा ही नहीं, विश्वास का भी कत्ल हुआ था। कोहना थानाक्षेत्र के रानीघाट पुराना कानपुर निवासी निशा केजरीवाल की 12 जुलाई 2017 को घर में ही लूटपाट के बाद हत्या कर दी गई थी। घटना के समय घर में कोई नहीं था। पति अरुण बेटे कृष्णा आदित्य के साथ कराची खाना स्थित दुकान गए थे। छोटी बेटी सोनाली नौकरी पर गई थी।

शाम को सोनाली घर लौटी तो दरवाजे खुले थे। अंदर पहुंचने पर निशा की लाश देखी तो पिता को फोन कर बुलाया। पिता ने कोहना थाने में अज्ञात के खिलाफ लूटपाट व हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। दो दिन बाद ही पुलिस ने घर के सामने रहने वाले आदित्य नारायण सिंह उर्फ राघव को गिरफ्तार कर उसकी निशानदेही पर आलाकत्ल व लूटे गए रुपये और जेवरात भी बरामद कर लिए थे।

आदित्य के पिता समेत पांच गवाह कोर्ट में पेश किए गए
एडीजीसी विनोद त्रिपाठी, कमलेश पाठक व सत्येंद्र अवस्थी ने बताया कि अभियोजन की ओर से मृतका के पति अरुण केजरीवाल, दो बेटियों सोनम व सोनल और नौकरानी शांति उर्फ चमेली समेत 12 गवाह कोर्ट में पेश किए गए। बचाव पक्ष की ओर से भी आदित्य के पिता समेत पांच गवाह कोर्ट में पेश किए गए थे। सबूतों और गवाहों के आधार पर कोर्ट ने आदित्य को निशा की हत्या का दोषी मानकर सजा सुनाई।

विवेचक ने की गलतियां, सीपी करें कार्रवाई: कोर्ट
अरुण की सूचना पर पहले पुलिस ने डकैती की धारा में रिपोर्ट दर्ज की थी लेकिन बाद में लूट और हत्या की धारा में रिपोर्ट दर्ज की। एक ही तारीख और समय पर अलग-अलग धाराओं में अलग-अलग रिपोर्ट दर्ज नहीं की जा सकती। विवेचक ने इस संबंध में कोई स्पष्टीकरण भी कोर्ट में नहीं दिया। कोर्ट ने कहा कि विवेचक रजन कुमार रावत ने विवेचना में गलतियां कीं। विवेचक के खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस आयुक्त को आदेश की प्रति भेजी जाए।

साजिश के तहत की थी लूट और हत्या
अरुण के अधिवक्ता कमलेश पाठक व सत्येंद्र अवस्थी ने बहस के दौरान तर्क रखा कि आदित्य और निशा के परिवार के बीच मधुर संबंध थे। निशा के घर की दिनचर्या की आदित्य को पूरी जानकारी थी। घटना के समय आदित्य विधि छात्र था, लेकिन बुरी संगत के कारण उसे कॉलेज से निकाल दिया गया था। अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए आदित्य ने निशा के घर लूट की साजिश रची।

डस्टबिन में जेवरातों को छिपा दिया था
सुबह घरवालों के काम पर जाने और दोपहर को नौकरानी के जाने के बाद आदित्य घर में घुसा और लूटपाट कर निशा की हथौड़ा व चाकू मारकर नृशंस हत्या कर दी। आलाकत्ल और रुपयों को घर में छिपा दिया और मुंबई भागने के दौरान रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटर के पास डस्टबिन में जेवरातों को छिपा दिया था, जिसे पुलिस ने बरामद किया था।

घटना का कोई चश्मदीद नहीं था, चप्पलों के निशान ने पहुंचाया कातिल तक
घटना का कोई चश्मदीद नहीं था, लेकिन परिस्थितिजन्य साक्ष्य मौजूद थे। सबसे अहम निशा के घर मिले चप्पल के निशान साबित हुए। ये निशान आदित्य के घर में मिली चप्पलों से मेल खा गए। इसके अलावा घटना के समय निशा के घर के पास आदित्य की मौजूदगी, लूट के 1.40 लाख रुपये व जेवरातों की बरामदगी, हत्या में इस्तेमाल हथौड़े व चाकू और कपड़ों की बरामदगी ने साबित कर दिया कि लूट व हत्या उसी ने की है।

आदित्य खुद धनवान तो क्यों करेगा लूटपाट
बचाव पक्ष का तर्क था कि आदित्य से कोई बरामदगी नहीं हुई। फर्जी बरामदगी दिखाई गई। बरामदगी का कोई वीडियो या फोटोग्राफी नहीं कराई गई। 13 जुलाई को आदित्य मुंबई स्थित अपने कॉलेज विधि की पढ़़ाई के लिए चला गया था। उसे रास्ते से बुलाया गया। आदित्य खुद धनी परिवार से है।

निशा ने नौकरानी की चप्पलों से पिटाई भी की थी
इसलिए लूटपाट करने की जरूरत नहीं थी। भीड़-भाड़ वाले रेलवे स्टेशन के डस्टबिन से 24 घंटे बाद जेवरात की बरामदगी भी संदेहास्पद है। घटना से दो दिन पहले निशा और अरुण के बीच घर की नौकरानी को लेकर विवाद हुआ था, जिसमें निशा ने नौकरानी की चप्पलों से पिटाई भी की थी। निशा की हत्या अरुण भी कर सकते हैं।

वकील के वेश में पहुंचे शरारती तत्वों ने किया हंगामा
सजा पर सुनवाई के लिए कोर्ट ने दोपहर दो बजे का समय निर्धारित किया था। समय पर आदित्य को पुलिस सुरक्षा में कोर्ट लाया गया। इस दौरान आदित्य के पीछे वकीलों के वेश में कई शरारती तत्व भी पहुंच गए। दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने सजा के बिंदु पर बहस सुनाई, इसके बाद न्यायाधीश विश्राम कक्ष में चले गए। इसी दौरान अदालत के बाहर भीड़ बढ़ने लगी।

आदित्य के पिता पुनीत ने भीड़ को उकसाया
लगभग चार बजे न्यायाधीश ने आदित्य को उम्रकैद की सजा सुनाई। पुलिसकर्मियों की संख्या कम होने के कारण आदित्य के परिजन और साथी हंगामा करने लगे। मीडियाकर्मियों के साथ अभद्रता की गई। आदित्य के पिता पुनीत ने भीड़ को उकसाया, तो वकीलों के वेश में पहुंचे शरारती तत्वों ने फोटोग्राफर का कैमरा छीनकर तोड़ने की कोशिश की।

चेहरे पर नहीं दिख रहा था पछतावा
आदित्य को कोर्ट से जेल ले जाते समय भी भीड़ उसके पीछे पुलिस वैन तक पहुंची और वहां भी फोटोग्राफरों से अभद्रता व गालीगलौज की गई। छह फुट के लंबे-चौड़े आदित्य के चेहरे पर सजा सुनाए जाने के बाद भी कोई शिकन नहीं थी। न ही उसके चेहरे पर किए का पछतावा ही दिख रहा था।

आदित्य का जीवित रहना समाज के लिए खतरा, फांसी दी जाए
एडीजीसी विनोद त्रिपाठी ने आदित्य के लिए फांसी की मांग की। सजा पर सुनवाई के दौरान कहा कि आदित्य ने विश्वास का गला घोंटा है। मृतका के चेहरे व सिर पर हथौड़े व चाकू के वार से 13 चोटें पहुंचाई गईं। दोनों आंखों में चाकू से चोटें पहुंचाईं। लूट के साथ नृशंस तरीके से हत्या की।

विरल से विरलतम श्रेणी का नहीं है मामला
आदित्य का जीवित रहना समाज के लिए खतरा है, इसलिए फांसी की सजा दी जानी चाहिए। वहीं बचाव पक्ष ने कहा कि आदित्य संभ्रांत परिवार से है, उसने घटना के बाद भी पढ़ाई की और वर्तमान में भी पढ़ रहा है। कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। कम से कम सजा सुनाई जाए। कोर्ट ने माना कि मामला विरल से विरलतम श्रेणी का नहीं, इसलिए फांसी नहीं दी जा सकती।

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