कुछ बड़ा करने की फिराक में अमेरिका? ट्रंप कौन सा लेटर भारत भेजने वाले हैं

काफी समय से एक बात की चर्चा खूब तेज है कि भारत और अमेरिका के बीच ट्रे़ड डील होने वाली है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 16 जुलाई को एक बार फिर से कहा कि वाशिंगटन भारत के साथ व्यापार समझौते करने के बहुत करीब है। ट्रंप की ओर से बार बार ऐसे संकेत देने के बावजूद भी आखिर ये ट्रेड डील हो क्यों नहीं पा रही है? दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप ये चाहते हैं कि भारत उनकी शर्तों के सामने झुके। जितना टैरिफ अमेरिका चाहता है उतना टैरिफ भारत के ऊपर लगे। लेकिन भारत भी यहां अपनी शर्तों पर डील करना चाहता है। भारत नहीं चाहता है कि वो अमेरिका की शर्तों पर डील करे। अमेरिका चाहता है कि भारत उससे एग्रीकल्चर के प्रोडक्ट खरीदे। डेयरी के प्रोडक्ट खरीदे। लेकिन भारत ने साफ तौर पर अपने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए ये कह दिया है कि हम डेयरी और एग्रीकल्चर के प्रोडक्ट नहीं खरीदेंगे। जिसके बाद 16 जुलाई को ट्रंप एक बार फिर सामने आए और कहा कि भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील जल्द ही होने वाली है। उन्हें बस एक लेटर भेजना है। 

ऐसे में क्या ट्रंप धमकी दे रहे थे या फिर वो उस लेटर की बात कर रहे थे जिसमें ये लिखा होगा कि भारत के ऊपर हम इतना टैरिफ लगा रहे हैं। इसमें पहले उन्होेंने 14 देशों को लेटर भेजा और फिर ब्राजील पर टैरिफ लगाया। ऑस्ट्रेलिया, साउथ कोरिया, जापान पर टैक्स लगाने की बात की। ये सारे अमेरिका के मित्र देश हैं, लेकिन फिर भी टैरिफ मामले में किसी को कोई रियायत नहीं दी गई और किसी भी 25 फीसदी तो किसी पर 35 फीसदी का टैरिफ लगाया गया। वहीं भारत के पड़ोसी बांग्लादेश पर भी 35 फीसदी का टैरिफ लगाया। लेकिन ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि कल एक समझौता हुआ और एक समझौता होने वाला है। शायद भारत के साथ। मुझे नहीं पता हम बातचीत कर रहे हैं। सबसे अच्छा सौदा जो हम कर सकते हैं वो एक लेटर भेजना है। लेटन में लिखा होता है कि आप 20 %, 25%, 30% का भुगतान करें। 

अमेरिका के राष्ट्रपति ने एक दिन पहले कहा था कि भारत के साथ एक व्यापार समझौते पर काम जारी है और अमेरिका को भारतीय बाजार तक पहुंच मिलेगी। ट्रंप ने कहा कि भारत के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौता इंडोनेशिया के साथ किए गए करार के अनुरूप होगा। उन्होंने कहा कि भारत मूलतः उसी दिशा में काम कर रहा है। हमें भारत में प्रवेश मिलेगा। आपको समझना होगा कि इनमें से किसी भी देश में हमारी पहुंच नहीं थी। हमारे लोग वहां नहीं जा सकते थे और अब हमें वहां प्रवेश मिल रहा है। यही हम शुल्क के जरिये कर रहे हैं। 

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