गार्सेटी ने ये भी कहा कि ‘क्वाड कोई ऐसा संगठन भी नहीं है, जहां सभी किसी एक बात पर सहमत हो जाएं, यह कोई बात करने का ठिकाना नहीं है। हम हिंद महासागर के बारे में बात कर सकते हैं और इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।’
भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने एक बड़ा बयान दिया है। एक कार्यक्रम के दौरान गार्सेटी ने कहा कि क्वाड में भारत ड्राइविंग सीट पर है और भारत को तय करना है कि क्वाड का क्या करना है। गार्सेटी ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 17वें संस्करण में ‘हार्ट ऑफ द मैटर: क्वाड और नया इंडो पैसिफिक विजन’ सत्र के दौरान ये बातें कही। गार्सेटी ने इशारों में समझाते हुए कहा कि ‘भारत, क्वाड में ड्राइविंग सीट पर है और अमेरिका उसके बराबर वाली सीट पर है। मुझे लगता है कि जापान शुरुआत से ही रास्ता बता रहा है और ऑस्ट्रेलिया, क्वाड में ऐसा है, जो कार में सबसे ज्यादा उत्साहित होता है और सभी से खाने-पीने के बारे में पूछता रहता है और ये भी पूछता है कि हम कहां जा रहे हैं।’
क्वाड में भारत को आगे करना चाहता है अमेरिका
क्वाड एक कूटनीतिक साझेदारी है, जिसमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका सहयोगी देश हैं। क्वाड का उद्देश्य सदस्य देशों में आर्थिक, कूटनीतिक और सैन्य सहयोग बढ़ाना है। क्वाड का उद्देश्य हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र को मुक्त रखना है। साल 2007 में जापान के तत्कालीन पीएम शिंजो आबे ने इसका विचार दिया था। साल 2017 में इसका गठन किया गया। माना जाता है कि चीन के बढ़ते प्रभाव से निपटने के लिए क्वाड का गठन किया गया है।
गार्सेटी ने कहा ‘ये बहुत अच्छा समय है और हम सभी अपनी अलग-अलग भूमिकाओं का आनंद ले रहे हैं। मैं चाहता हूं कि हम भी कई बार कार की पिछली सीट पर बैठकर आराम करें, लेकिन ये भारत को तय करना है कि हम क्वाड से क्या करना चाहते हैं।’ गार्सेटी ने ये भी कहा कि ‘क्वाड कोई ऐसा संगठन भी नहीं है, जहां सभी किसी एक बात पर सहमत हो जाएं, यह कोई बात करने का ठिकाना नहीं है। हम हिंद महासागर के बारे में बात कर सकते हैं और इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। साथ ही अंतरिक्ष प्रोजेक्ट पर काम कर सकते हैं।’
संयुक्त राष्ट्र से भी ज्यादा सक्षम है क्वाड
गार्सेटी ने कहा कि क्वाड दुनिया के लिए मॉडल बन सकता है। यह बेहद मजबूत और स्थायी है। यह कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों जैसे संयुक्त राष्ट्र आदि से भी ज्यादा प्रभावी है क्योंकि इन संस्थाओं के पास इतनी क्षमता नहीं है, जितनी क्वाड के पास है। भारत अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों पर अमेरिकी राजदूत ने कहा ‘द्विपक्षीय संबंध हमेशा आकर्षक होते हैं, लेकिन अगर बात सीधे तौर पर होती है तो ये कई बार नीरस हो जाते हैं।’ गार्सेटी ने उदाहरण देते हुए कहा कि ‘अगर हम तीन लोगों को बुलाते हैं तो यह मजेदार होगा और अगर ज्यादा लोग इससे जुड़ जाएंगे तो यह पार्टी हो जाएगी और तब आपको पता चलेगा कि आपके पास कुछ खास है।’