खरना के साथ शुरू हुआ 36 घंटे का छठ महापर्व, आज अस्तांचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगी महिलाएं; पढ़िये पूरी ख़बर

ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, सोमवार को छठ महापर्व का अंतिम दिन है। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र, ध्रुव योग और शुभ नामक नामक औदायिक योग है। बताया कि सूर्य को परम ब्रह्म और माया षष्ठी को परा प्रकृति की संज्ञा दी जाती है। इस महापर्व पर समस्त देवगणों की अनुकंपा व्रतियों को प्राप्त होगी।

छठ महापर्व के दूसरे दिन शनिवार को महिलाओं ने दिनभर खरना का निर्जल व्रत रखा। सूर्यास्त होने पर पूजा-अर्चना के बाद व्रती महिलाओं ने रसियाव और रोटी ग्रहण किया और छठी मइया से कुल-परिवार बढ़ने की अरज की। इसी के साथ 36 घंटे का निर्जल उपवास भी शुरू हो गया। रविवार को व्रती महिलाएं अस्तांचलगामी और सोमवार को उदयाचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगी। इसके बाद प्रसाद ग्रहण करेंगी।

शनिवार को दिनभर निर्जल उपवास रखने के बाद शाम को व्रतियों ने चूल्हे को स्थापित किया। अक्षत, धूप, दीप और सिंदूर से इसकी पूजा की। प्रसाद के लिए रखे आटे से रोटी और साठी के चावल की खीर बनाई। इसे रसियाव रोटी भी कहते हैं। वहीं पर खरना अनुष्ठान किया। शनिवार को छठ घाटों पर पर्व की तैयारियां जोर-शोर से चलती रही।

पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, रविवार को छठ महापर्व का तीसरा दिन है। इस दिन पंचमी तिथि सुबह आठ बजकर 15 मिनट तक, पश्चात षष्ठी तिथि है। इस दिन मूल नक्षत्र दिन में 10 बजकर 34 मिनट तक पश्चिम पूर्वाषाढ़, सुकर्मा और सिद्धि नामक औदायिक योग है। इस दिन श्रद्धालु दिनभर व्रत रखेंगी। शाम को अस्तांचलगामी सूर्य को तालाब या नदी में खड़ी होकर व्रती महिलाएं अर्घ्य देंगी। अर्घ्य, दूध और जल से दिया जाएगा। अर्घ्य देने के बाद सूपों में रखा सामान भगवान सूर्य और माता षष्ठी देवी को अर्पित किया जाएगा।

कल दिया जाएगा उगते हुए सूर्य को अर्घ्य
ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, सोमवार को छठ महापर्व का अंतिम दिन है। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र, ध्रुव योग और शुभ नामक नामक औदायिक योग है। बताया कि सूर्य को परम ब्रह्म और माया षष्ठी को परा प्रकृति की संज्ञा दी जाती है। इस महापर्व पर समस्त देवगणों की अनुकंपा व्रतियों को प्राप्त होगी। इस दिन व्रती ब्रह्म मुहूर्त में अर्घ्य सामग्री लेकर जलाशय में खड़ी होकर अरुणोदय की प्रतीक्षा करेंगी। जैसे ही क्षितिज पर अरुणिमा दिखाई देगी, वे मंत्रोचार के साथ भगवान सूर्य को अर्घ्य देंगी। इसके बाद व्रत का पारण करेंगी।
छठ माता की प्रतिमाएं स्थापित
कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर शनिवार को महानगर के विभिन्न स्थानों पर छठ माता की प्रतिमाओं की स्थापना भक्तिभाव से की गई। सायंकाल पूजा-अर्चना कर प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की गई। पट खुलने के बाद दर्शन-पूजन के लिए भक्तों की भीड़ रही। छठ पूजा के बाद प्रतिमाओं को राप्ती नदी के राजघाट तट पर बने कृत्रिम तालाबों में विसर्जित कर दिया जाएगा।
महानगर में बने अस्थायी घाट
छठ पूजा के लिए महानगर के असुरन चौक, विष्णुपुरम, बशारतपुर, राजघाट, गोरखनाथ, मानसरोवर, सूर्यकुंड, डोमिनगढ़, रामगढ़ताल, विष्णु मंदिर, राप्तीनगर, रुस्तमपुर, सहारा इस्टेट और खरैया पोखरा के साथ तमाम मोहल्लों में अस्थायी घाट बनाए गए हैं
पूजन सामग्री खरीदने के लिए बाजारों में उमड़ी भीड़
छठ पूजन सामग्रियों की खरीदारी के लिए बाजारों में शनिवार देर रात तक खरीदारों की भीड़ उमड़ी रही। फल, सब्जी, दउरा, सुपली, मिट्टी के बर्तन आदि की दुकानें खरीदारों की भीड़ से पूरे दिन गुलजार रहीं। पर्याप्त मात्रा में पूजन सामग्री होने के बावजूद दुकानदारों ने शनिवार की तुलना में हर सामान महंगा बेचा। व्यापारी सुनील ने बताया कि बाजार में छठ पर्व के लिए बिहार के बिहार और मऊ से सूप, दउरा, कश्मीर का सेब, नागपुर का संतरा, कोलकाता का नारियल, नासिक का अंगूर, हिमाचल प्रदेश का रामफल, साउथ कोरिया का आम और पुणे का अमरूद मौजूद है।
अर्घ्य मुहूर्त
रविवार: सायंकाल पांच बजकर 22 मिनट पर अस्तांचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
सोमवार: सुबह छह बजकर 39 मिनट पर सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।

बोले श्रद्धालु
पिछले 40 सालों से छठ का व्रत कर रही हूं। व्रत के नियम तो पहले जैसे ही हैं, लेकिन अब छठ पर्व पर शोर-शराबा ज्यादा होता है। पहले की तुलना में घाटों पर भीड़ भी ज्यादा होती है।- उषा मद्धेशिया,पादरी बाजार

20 सालों से व्रत कर रही हूं। पहले पूजन सामग्रियों को खरीदने में दिक्कत होती थी, सामानों के लिए भटकना पड़ता था, लेकिन अब हर सामान आसानी से मिल जाता है। व्रत करने में भी सुविधा है।-अहिल्या शर्मा,भगत चौराहा

पांच साल से व्रत कर रही हूं। संतान की मनोकामना के लिए व्रत का संकल्प लिया था। मां ने संतान देकर गोद भर दी। मन्नत पूरी होने के बाद से छठ व्रत करना शुरू कर दिया था।-दीपा शुक्ला,कालीबाड़ी

छठ माता सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं। आज तक जो भी माता से मांगा, वह मिला है। शादी के बाद से छठ का व्रत कर रही हूं, आगे भी सिलसिला जारी रहेगा।-बबिता मद्धेशिया,पादरी बाजार

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