गणेश चतुर्थी का पावन पर्व 31 अगस्त 2022 को बड़े ही धूम- धाम के साथ मनाया जा रहा है। इसी दिन से 10 दिनों तक चलने वाले गणेश महोत्सव की शुरुआत भी हो जाएगी।गणेश उत्सव की तैयारियां पूरी हो चुकीं हैं। पंडाल सजधज कर तैयार हैं। पूजा पंडालों, घरों और सार्वजनिक स्थलों पर बुधवार को गणेश पूजा होगी। पंडित प्रणब मिश्रा ने बताया कि चौथ तिथि 30 अगस्त को दोपहर 232 बजे से शुरू होगी, जो 31 अगस्त को 156 बजे तक रहेगी। हालांकि, उदयातिथि के अनुसार, सूर्योदय में चौथ होने से दिन भर पूजा होगी। रवियोग बुधवार सुबह 623 बजे से एक सितंबर को दोपहर 1212 बजे तक रहेगा। विजय मुहूर्त 30 अगस्त को रात्रि 2.44 बजे से शुरू होकर 31 अगस्त को रात 3.34 बजे तक रहेगा। प्रणब मिश्रा के अनुसार, गणेश पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त दिन के 1124 बजे से दोपहर 156 बजे तक है।प्रणब मिश्रा के अनुसार, बुधवार गणेश जी का दिन होता है। बुधवार को चित्रा नक्षत्र, सूर्य और सूर्य, बुध, गुरु व शनि जैसे अहम ग्रह अपनी ही राशियों में रहेंगे। ऐसा योग पिछले 300 सालों में बना है। इस योग में नया घर खरीदना, बुक करना, ज्वेलरी-गाड़ी जैसी कीमती चीजें खरीदना या बुक करना बेहद शुभ रहेगा। मंत्र साधक अपना मंत्र इस दौरान सिद्ध कर सकते हैं, जिसका पूर्ण लाभ मिलेगा।पंडित रामदेव पांडेय के अनुसार, इस वर्ष गणेश चर्तुथी पर शुक्ल और रवियोग। उन्होंने बताया कि रवियोग किसी पूजा की पूर्ण फल की प्राप्ति यानी सिद्धि मिलती है। शुक्लयोग भी सिद्धिकारक योग, इसलिए इस योग में जो जिस कामना से पूजा करेगा, उसकी पूर्ति होगी।
पूजा में इन बातों पर ध्यान रखें, पूरी होगी कामना
● गणेश जी की प्रतिमा पर तुलसी और शंख से जल न चढ़ाएं।
● दुर्वा (दूब) और मोदक के बिना गणपति की पूजा अधूरी रहती है।
● गणपति के पसंदीदा फूल जाती, मल्लिका, कनेर, कमल, चंपा, मौलश्री, गेंदा व गुलाब
● गणपति के पसंदीदा पत्ते शमी, दुर्वा, धतूरा, कनेर, केला, बेर, मदार और बिल्व पत्र
● पूजा में नीले और काले रंग के कपड़े न पहनें।
● चमड़े की चीजें बाहर रखकर पूजा करें और भगवान को अकेले न छोड़ें।
● स्थापना के बाद मूर्ति को इधर-उधर न रखें, यानी हिलाएं नहीं।