आज पूरा देश पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्य तिथि पर उन्हें याद कर रहा है। वाजपेयी का राजनीतिक सफर जनसंघ से शुरू हुआ था। तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे अटल जी के कार्यकाल में विकास के नए आयाम स्थापित किए गए।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्य तिथि है। अटल जी की पुण्य तिथि पर आज पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। 16 अगस्त 2018 को अटल बिहारी वाजपेयी ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी को राजनीति में अजातशत्रु कहा जाता है। अटल जी 1996 (13 दिन), 1998 (13 महीने के लिए) और फिर 1999 में देश के प्रधानमंत्री बने। साल 1999 से 2004 तक उन्होंने प्रधानमंत्री रहते कार्यकाल पूरा किया था। 1996 में उनकी सरकार कुछ ही दिन रही जबकि 1998 में कुछ महीने। अटल कवि, पत्रकार और प्रखर वक्ता भी थे।
जनसंघ से शुरू हुआ सियासी सफर
अटल 1951 में जनसंघ की स्थापना करने वाले सदस्यों में से एक थे। 1968-1973 तक वे इसके अध्यक्ष भी रहे। 1952 में उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन सफल नहीं हुए। हालांकि, इसके बाद 1957 में वे यूपी की गोंडा सीट से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। 1957 से 1977 तक उन्हें संसद में जनसंघ का नेतृत्व करने का मौका मिला। मोरारजी देसाई की सरकार में वे 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री भी रहे।
9 बार लोकसभा सासंद रहे अटल
1980 में भाजपा की स्थापनी हुई और अटल बिहारी वाजपेयी इसके अध्यक्ष बने। अटल बलरामपुर, ग्वालियर, नई दिल्ली, विदिशा, गांधीनगर और लखनऊ लोकसभा सीट से 9 बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। इसके अलावा वे राज्यसभा के दो बार सदस्य भी रहे।
1996 में पहली बार बने पीएम
अटल 1996 में पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने। हालांकि, इस साल उनकी सरकार कुछ ही दिन चल पाई। इसके बाद वे 1998 में फिर प्रधानमंत्री बने। अटल तीसरी बार 1999 से 2004 तक भी पीएम पद पर रहे। 2004 में हुए आम चुनाव में उन्होंने ‘इंडिया शाइनिंग’ का नारा दिया, लेकिन 2004 में उनकी पार्टी को बहुमत नहीं मिला।
ऐसा रहा अटल सरकार का कार्यकाल
वाजपेयी के पीएम रहते भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया। उनके कार्यकाल में पाकिस्तान से संबंधों में सुधार के लिए पहल भी की गई। भारत ने कारगिल के युद्ध में फतह भी की। इसके अलावा वाजपेयी सरकार के दौरान स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना, टेलीकाम नीति भी लागू की गई।