छठ पर्व का शुभारम्भ हो चुका है। इस पर्व में विशेषतः भगवान सूर्य और माता छठी की पूजा की जाती है और परिवार के कल्याण की प्रार्थना की जाती है। माना जाता है कि माता छठी के आरती के बिना यह उपवास अधूरा रह जाता है।
हिन्दू धर्म में छठ पर्व को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जहां एक तरफ हम हर दिन उगते हुए सूर्य की पूजा करते हैं, वहीं छठ पर्व के दिन डूबते हुए सूर्य की पूजा का विधान शास्त्रों में वर्णित है। यह पर्व 28 अक्टूबर से शुरू हो चुका है, जिसका समापन 31 अक्टूबर के दिन होगा। इस पर्व में महिलाएं 24 घंटे से अधिक समय तक कठिन निर्जला उपवास रखती हैं और भगवान सूर्य व माता छठी की पूजा करती हैं। माताएं अपने संतान की लंबी उम्र के लिए और परिवार में सदैव सुख-समृद्धि बनी रहे, इसलिए यह कठिन उपवास रखती हैं। माना जाता है कि छठी मैया की आरती के बिना यह उपवास सफल नहीं होता है।
छठी मैया की प्राचीन आरती
जय छठी मईया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।।जय छठी मईया..।।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।।जय छठी मईया..।।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।।जय छठी मईया..।।
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।।जय छठी मईया..।।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।।जय छठी मईया..।।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।।जय छठी मईया..।।
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।।जय छठी मईया..।।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।।जय छठी मईया..।।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।।जय छठी मईया..।।