अपहरण और व्यपहरण दोनों की परिभाषाएं बहुत अलग है। दोनों में ही काफी अंतर है। किडनैपिंग और व्यपहरण का वर्णन भारतीय दंड संहिता की धारा 360 में किया गया है। वहीं अपहरण या एबडक्शन का भारतीय दंड संहिता की धारा 362 में उल्लेख किया गया है।
7 साल की बच्ची का बहला-फुसला कर किया व्यपहरण, सड़क पर चलती महिला का सरेशाम अपहरण और रास्ते पर चलते हुए युवक/युवती का दिनदहाड़े अपहरण। व्यपहरण और
अपहरण दोनों ही शब्द लगते समान है लेकिन दोनों की परिभाषाएं बिल्कुल अलग-अलग है। अंग्रेजी शब्दों में व्यपहरण को किडनैपिंग कहते है तो वहीं अपहरण को एबडक्शन का नाम दिया गया है। दोनों ही शब्दों की परिभाषा भारतीय कानून में अलग-अलग है।
व्यपहरण क्या है व्यपहरण?
7 साल की बच्ची को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया शख्स, ऐसी कितनी ही खबरें आपने और हमने सुनी और पढ़ी है। ऐसे क्राइम को व्यपहरण कहा जाता है। जब 16 वर्ष से कम उम्र का शख्स या लड़का जब 18 वर्ष की उम्र की लड़की को बहला -फुसलाकर या अपनी मर्जी से अपने साथ ले जाने में कामयाब होता है, तो उसे व्यपहरण या किडनैपिंग कहते है। व्यपहरण को भारतीय दंड संहिता की धारा 359 (section 359) में दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। व्यपहरण को भारतीय दंड संहिता की धारा 360 और 361 में परिभाषित किया गया है।
अपहरणAbductionअपहरण क्या है?
महिला का सरेशाम किया गया अपहरण या दिनदहाड़े घर में घुसकर युवक/युवती का हुआ अपहरण। ऐसे क्राइम को अपहरण कहा जाता है। अपहरण को भारतीय दंड संहिता की धारा 362 में परिभाषित किया जाता है। इसमें कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को एक स्थान से जाने के लिए विवश करता है तो उसे अपहरण का अपराध किया जाता है।
क्या है अपहरण और व्यपहरण में अतंर?
अपहरण और व्यपहरण, दोनों की परिभाषाएं बहुत अलग है। दोनों में ही काफी अंतर है। किडनैपिंग और व्यपहरण का वर्णन भारतीय दंड संहिता की धारा 360 में किया गया है। वहीं अपहरण या एबडक्शन का भारतीय दंड संहिता की धारा 362 में उल्लेख किया गया है। व्यपहरण व अपहरण, भले ही नाम से एक जैसे लगते हो लेकिन इन दोनों की ही परिभाषाएं एक-दूसरे से बिल्कुल अलग है। इसके अलावा दोनों अलग-अलग अपराध भी है।
व्यपहरण को अंग्रेजी शब्द में किडनैपिंग कहा जाता है। इसे बालचौर्य भी कहते है, जिसका मतलब होता है, बच्चों की चोरी से। इसमें अगर 16 वर्ष से कम उम्र का लड़का या फिर 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की या किसी भी आयु वर्ग को बहला-फुसलाकर या फिर अपनी मर्जी से कोई अपने साथ ले जाता है तो उसे व्यपहरण कहा जाता है। वहीं 16 वर्ष से अधिक उम्र का लड़का या 18 साल से अधिक उम्र की लड़की को बलपूर्वक या जबरन उसकी इच्छा या मर्जी के विरोध में ले जाया जाता है तो उसे अपहरण कहा जाता है।
अपहरण व्यपहरण
अपहरण किसी भी आयु वाले व्यक्ति का हो सकता है। वहीं व्यपहरण में बच्चे या 18 वर्ष से कम आयु के किसी भी वर्ग का हो सकता है। अपहरण किये गये व्यक्ति का अपहरण अभिभावक की देखरेख में हो ऐसा जरूरी नहीं है क्योंकि पीड़ित व्यक्ति किसी भी आयु वर्ग का हो सकता है। वहीं व्यपहरित व्यक्ति अभिभावक की देख रेख से परे ले जाया जाता है, ऐसा होना नितान्त आवश्यक है। अपहरण के मामले में छल, कपट या बल प्रयोग किया जाता है तो वहीं व्यपहरण में बल प्रयोग आवश्यक नहीं, व्यक्ति लालच देकर या प्रेरित करके उसे अपने साथ ले जाने के लिए तैयार करता है।
आईपीसी धारा 365 क्या है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 365 के अनुसार, जब किसी व्यक्ति को अनुचित रूप से कैद करने के लिए उसका अपहरण या व्यपहरण करेगा तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा होगी। इसमें आरोपी को सात साल की कैद होने के साथ-साथ भारी जुर्माना भी भरना पड़ता है। अपहरण करने वाले आरोपी को सात साल की सजा सुनाई जाती है और जुर्माने का भी प्रवाधान है। वहीं व्यपहरण में आजीवन कारावास और आर्थिक दंड शामिल है।