दिल्ली स्थित टॉयलेट म्यूजियम एक बहुत ही अनोखे तरह का म्यूज़ियम है जहां जाकर आप आप बना सकते हैं अपने वीकेंड को मजेदार। तो क्यों है ये म्यूज़ियम खास जानेंगे यहां इसके बारे में विस्तार से।
हर साल 19 नवंबर को टायलेट डे मनाने का मकसद लोगों को खुले में शौच करने से रोकना और शौचालय के मानव अधिकार को प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाना और समझाना है। इसके अलावा एक दूसरा कारण स्वच्छता, स्वास्थ्य और सुरक्षा की नीति को मजबूत करना है और खुले में शौच करने से होने वाले नुकसान के बारे में दुनिया को बताना है। तो इस बार टॉयलेट डे शनिवार को है, जब ज्यादातर जगहों पर छुट्टी होती है, तो इस दिन को स्पेशल बनाने के लिए आप आज दिल्ली स्थित टॉयलेट म्यूज़ियम घूमने का प्लान बना सकते हैं। जो एक अलग ही तरह का म्यूज़ियम है। क्या खास है यहां, जानेंगे इसके बारे में…
टॉयलेट म्यूज़ियम
टॉयलेट म्यूज़ियम दिल्ली में स्थित है, जिसे सन् 1992 में सोशल एक्टिविस्ट, डॉक्टर बिंदेश्वर पाठक द्वारा स्थापित किया गया था। इस म्यूजियम में 2500 ईसा पूर्व से आज तक के सभी तरह के शौचालयों के विकास और तथ्यों का ब्यौरा मिलता है। यह म्यूजियम टॉयलेट से जुड़े रीति-रिवाजों, तरीकों और अलग-अलग तरह के शौचालयों से जुड़ी घटनाओं के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करता है। यहां 1145 ईसवी से लेकर अभी तक के प्राइवेट, चैंबर पॉट्स, टॉयलेट फ़र्नीचर, बिडेट्स और वाटर क्लोसेट हर एक चीज़ मौजूद हैं।
क्यों खास है ये म्यूजियम?
इस म्यूजियम में शौचालय, उससे जुड़ी चीज़ों, तथ्यों और चित्रों के हर एक जरूरी संग्रह है, जो टॉयलेट के विकास को जानने और समझने का मौका देता है। इतना ही नहीं दिल्ली के इस म्यूजियम में आपको शौचालय से संबंधित सुंदर कविताओं का भी बेहतरीन कलेक्शन मौजूद है। म्यूजियम में आकर आप देख सकते हैं कि कैसे रोमन एंपरर्स के सोने-चांदी से बने शौचालयों का इस्तेमाल करते थे। 1596 में सर जॉन हैरिंगटन, रानी एलिजाबेथ के शासनकाल के दौरान एक दरबारी द्वारा तैयार किए गए फ्लश पॉट का रिकॉर्ड भी इस म्यूजियम में देखने को मिलेगा। और तो और यह म्यूजियम 2,500 ईसा पूर्व की हड़प्पा सभ्यता की सीवरेज स्टाइल को भी प्रदर्शित करता है।
म्यूजियम में अलग-अलग भाग
इस म्यूजियम को पूरे तीन भागों में बांटा गया है- प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक। प्राचीन काल वाले भाग में आपको लगभग 3000 ईसा पूर्व के हड़प्पा सभ्यता की स्वच्छता व्यवस्था के बारे में जानने को मिलेगा। इसके साथ ही, म्यूजियम मिस्र, क्रेते, यरूशलेम, ग्रीस और रोम की अन्य प्राचीन सभ्यताओं की स्वच्छता व्यवस्था को भी दर्शाता है।
मध्य युग के दौरान राजा-महाराजा बड़े-बड़े किलों में रहते थे। तो इस संग्रहालय में आंध्र प्रदेश के गोलकोंडा किले, जयपुर के अंबर किले, तमिलनाडु का गिंगी किला, आगरा का फतेहपुर-सीकरी किले में मौजूद टॉयलेट व्यवस्थाओं का भी संग्रह है। आधुनिक भाग में आपको टॉयलेट से जुड़े कई दिलचस्प कार्टून, फोटोग्राफ, अलग-अलग देशों के पब्लिक टॉयलेट और टॉयलेट जोक्स भी देखने को मिलेंगे। जो आपके इस डे आउटिंग को मजेदार बना देगा।
ये म्यूज़ियम बच्चों को घुमाने के लिए भी बेहतरीन जगह है।