संकष्टी चतुर्थी व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। कार्तिक मास में वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। इस दिन पूजा-पाठ करने से और भगवान गणेश की वन्दना करने से कई प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं।
हिन्दू धर्म में भगवान श्री गणेश को सभी देवी-देवताओं में सबसे पहले पूजा जाता है। मान्यता है कि किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले भगवान गणेश का स्मरण करने से सभी कार्य सफल होते हैं और उनका परिणाम सकारात्मक आता है। ऐसे में भगवान गणेश को समर्पित संकष्टी चतुर्थी व्रत का भी महत्व और अधिक बढ़ जाता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखने से सभी दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं और व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है। प्रत्येक मास चतुर्थी तिथि के दिन यह विशेष व्रत रखा जाता है। आइए जानते हैं पवित्र कार्तिक मास में किस दिन रखा जाएगा यह व्रत, इसका मुहूर्त और पूजा विधि।
संकष्टी चतुर्थी तिथि
- कार्तिक मास चतुर्थी तिथि प्रारम्भ: 13 अक्टूबर 2022, गुरुवार सुबह 01:59 से
- चतुर्थी तिथि समाप्त: 14 अक्टूबर 2022, शुक्रवार सुबह 03:08 तक
- संकष्टी चतुर्थी व्रत तिथि: 13 अक्टूबर 2022, गुरुवार
- चंद्रोदय समय: 13 अक्टूबर 2022, गुरुवार रात्रि 08:09 बजे
संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा विधि
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी व्रत के ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान कर लें और भगवान गणेश की पूजा के साथ व्रत का संकल्प लें। फिर भवगान गणपति जो को अक्षत, रोली, पुष्प इत्यादि अर्पित करें और उनके मंत्रों का शुद्ध जाप करें। संकष्टी चतुर्थी व्रत की मुख्य पूजा संध्या काल में की जाती है। इस दिन चन्द्रमा के दर्शन करें और फिर भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें। फिर अंत में भगवान गणेश की आरती अवश्य करें और अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे। इस दिन चतुर्थी व्रत कथा का पाठ भी बहुत फलदायी होता है।
करें भगवान गणेश के इन मंत्रों का जाप
वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ: ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा ।।
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं ।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम् ।।
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं ।