कालमेघ एक औषधीय पौधा है। स्वाद में यह बेहद कड़वा होता है। वैज्ञानिक भाषा में कालमेघ को एंडोग्रेफिस पैनिकुलाटा कहा जाता है। देसी भाषा में इसे चिरायता कहा जाता है। कालमेघ में एंटी-डायबिटीज के गुण पाए जाते हैं जो शुगर कंट्रोल करने में मददगार साबित होते हैं।
गलत खानपान और खराब दिनचर्या के चलते हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, मोटापा आदि रोग भी दस्तक देती हैं। जानकारों की मानें तो गलत खानपान से रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है। इस वजह से हृदय हृदय संबंधी बीमारियां होती हैं। इसके लिए सबसे पहले खानपान में सुधार करें। साथ ही रोजाना एक्सरसाइज करें। इसके अलावा, हृदय रोग के खतरे को कम करने के लिए रोजाना कालमेघ का सेवन कर सकते हैं। कई शोधों में दावा किया जा चुका है कि कालमेघ के सेवन से हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
कालमेघ क्या है
कालमेघ एक औषधीय पौधा है। स्वाद में यह बेहद कड़वा होता है। वैज्ञानिक भाषा में कालमेघ को एंडोग्रेफिस पैनिकुलाटा कहा जाता है। देसी भाषा में इसे चिरायता कहा जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो कालमेघ में एंटी-डायबिटीज के गुण पाए जाते हैं, जो शुगर कंट्रोल करने में मददगार साबित होते हैं। कालमेघ रक्त शुद्ध करता है। इसमें एंटी-वायरल गुण पाए जाते हैं, जो मलेरिया में फायदेमंद होते हैं।
क्या कहती है शोध
एक शोध में खुलासा हुआ है कि कालमेघ मे एंटी थ्रोम्बोटिक के गुण पाए जाते हैं। एंटी थ्रोम्बोटिक रक्त के थक्कों को रोकने में सहायक होता है। शोधकर्ताओं की मानें तो एंटी थ्रोम्बोटिक रक्त प्रवाह में सुधार करता है। इस गुण के चलते हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है।
कैसे करें सेवन
इसके लिए रात में सोने से पहले एक गिलास पानी में कालमेघ के कुछ पत्ते भिगो कर रख दें। अगली सुबह पत्तियों को अलग कर कालमेघ वाला पानी पिएं। इससे ह्रदय रोग समेत अन्य बीमारियों में भी फायदा मिलता है।