हिंदू धर्म में दशहरा का पर्व काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन नीलकंठ के दर्शन करने के अलावा देवी अपराजिता और शमी के पौधे की पूजा करना चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख शांति आएगी और हर काम में सफलता मिलेगी।
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा यानी विजय दशमी का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री राम से लंकापति रावण का वध करके अधर्म का नाश किया था। इसी कारण हर साल अधर्म पर धर्म की विजय के प्रतीक के रूप में इस पर्व को हर साल मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 5 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस दिन मां दुर्गा के व्रत नवरात्र का पारण करने के साथ कुछ उपाय करना लाभकारी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, दशहरा के दिन जिस तरह से नीलकंठ देखना शुभ माना जाता है। उसी तरह इस शमी के पेड़ और अपराजिता के फूल की पूजा करना शुभ माना जाता है। जानिए कैसे करें अपराजिता के फूल और शमी की पूजा।
ऐसे करें अपराजिता की पूजा
दशहरा के दिन अपराजिता की पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन अपराजिता की पूजा करने से सालभर हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। इसके साथ ही रुके हुए काम सुचारू से चलने लगते हैं।
इस दिन उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण की तरफ की कोई जगह साफ कर लें। इसके बाद साफ जगह पर चंदन से आठ पत्तियों वाला कमल का फूल बना लें। इसके बाद इसमें अपराजिता के फूल या पौधा रख दें। इसके बाद संकल्प लेते हुए इस मंत्र को बोले-‘मम सकुटुम्बस्य क्षेम सिद्धयर्थे अपराजिता पूजनं करिष्ये’
इस मंत्र को पढ़ने के बाद अपराजिता देवी से प्रार्थना करते हुए अपने परिवार और खुशहाली की बात कहें। इसके साथ ही कुमकुम, अक्षत, सिंदूर, भोग, घी का दीपक जला दें। पूजा करने के बाद देवी मां को अपने स्थान पर वापस जाने का आग्रह करें।
ऐसे करें शमी की पूजा
निर्णयसिन्धु के अनुसार, दशहरा के दिन शमी के पौधे की पूजा करना लाभकारी माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन शमी की पूजा करने से हर काम में सफलता प्राप्त होती है। इसके साथ ही साल भर यात्राओं में लाभ मिलेगा। शमी के पेड़ की पूजा घर में कर सकते हैं सबसे पहले इस दिन