प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के जीवन में न सिर्फ शारीरिक बल्कि भावनात्मक बदलाव भी होते हैं, जिसकी वजह से उन्हें कई बार स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ जाता है। ऐसा ही एक बदलाव लेकर आता है तनाव। जी हां, महिलाओं को होने वाले इस शरीरिक और मानसिक बदलाव की वजह से कई महिलाएं बहुत ज्यादा स्ट्रेस फील करने लगती हैं। ऐसे में कई स्टडीज से पता चला है कि जो महिलाएं लगातार तनाव में रहती हैं या अधिक मात्रा में तनाव को महसूस करती हैं, उनमें गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। ये खतरा ज्यादातर महिलाओं को गर्भधारण के समय और गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में अधिक बना रहता है।कई वैज्ञानिकों का मानना है कि तनाव एक महिला के शरीर में एक चेन रिएक्शन शुरू कर सकता है, जिसके दौरान शरीर में कुछ ऐसे केमिकल्स उत्पन्न होने लगते हैं जो बढ़ते हुए भ्रूण पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। यह सिद्धांत, इससे भी समझा जा सकता है कि कुछ महिलाओं को बिना किसी मेडिकल कॉम्प्लिकेशन्स के बावजूद भी मिसकैरेज का सामना क्यों करना पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान लगातार तनाव या तनाव का बढ़ा हुआ स्तर प्रेगनेंसी की संभावित जटिलताओं को जन्म दे सकता है। हालांकि, इसका कोई सबूत उपलब्ध नहीं है, जो यह साबित कर सके कि प्रेगनेंसी के दौरान तनाव की वजह से गर्भपात होता है। फिर भी, गैर जरूरी कॉम्प्लिकेशन्स को रोकने के लिए गर्भवती होने पर महिलाओं को तनाव लेने से बचना चाहिए।
एक सांइटिफिक रिसर्च के अनुसार, जब कोई व्यक्ति अत्यधिक तनाव में होता है, तो मस्तिष्क सीआरएच (कॉर्टिकोट्रॉफिन-रिलीजिंग हार्मोन) नामक हार्मोन सहित कई हार्मोन रिलीज करने लगता है। डिलीवरी के दौरान गर्भाशय के संकुचन को बंद करने के लिए सीआरएच भी उत्पन्न हो सकता है, लेकिन यह क्रोनिक स्ट्रेस के दौरान, यूट्रस में मौजूद सीआरएच हार्मोन मास्ट सेल्स पर हमला कर सकता है, जिससे शरीर में ऐसे रसायनों का उत्सर्जन शुरु हो सकता है जो गर्भपात को ट्रिगर कर सकते हैं। स्टडीज में, उन महिलाओं में सीआरएच का उच्च स्तर पाया गया, जिन्होंने एक बार गर्भपात का अनुभव करने वाली महिलाओं की तुलना में कई गर्भपात का सामना किया था।लेकिन इस तरह के रिसर्च के बावजूद, यह बात कि ज्यादा तनाव गर्भपात का कारण बन सकता है, अभी भी पूरे विश्वास के साथ नहीं कही जा सकती है।