जोशीमठ के सिंहधार में स्थानीय जनता के कुलदेवता का मंदिर भी धराशायी हो गया है। नगरपालिका के इस वार्ड में 56 मकानों में दरारें प्रशासन ने चिहिन्त की हैं। यहां पर भूधंसाव भी लगातार हो रहा है।
जोशीमठ के सिंहधार वार्ड में भूधंसाव बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार की सायं को सिंहधार में स्थानीय जनता के कुलदेवता का मंदिर भी धराशायी हो गया है।
इससे स्थानीय निवासियों में दहशत बढ़ गयी है। नगरपालिका के इस वार्ड में 56 मकानों में दरारें प्रशासन ने चिहिन्त की हैं। यहां पर भूधंसाव भी लगातार हो रहा है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि जोशीमठ में हो रहे भू धंसाव के कारण ज्योर्तिमठ और भगवान बदरीनाथ के शीतकालीन प्रवास स्थल को भारी नुकसान पहुंचा है।
आरोप लगाया कि सरकारों की अदूरदर्शिता और अनियोजित विकास कार्यों ने सनातन धर्म के शिखर स्थलों सहित पौराणिक नगरी जोशीमठ (ज्योर्तिमठ) के लाखों नागरिकों के भविष्य को खतरे में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष से लगातार क्षेत्र में जमीन धंसने की शिकायतें मिल रही थी, लेकिन उन पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया। नतीजा सबके सामने है।
उन्होंने मठ-मंदिर को तात्कालिक प्रभाव से अन्यत्र स्थानांतरित किए जाने की संभावना से इन्कार करते हुए कहा कि इस पर परिस्थिति का आकलन करने के बाद ही विचार किया जाएगा। बताया कि ज्योर्तिमठ और नृसिंह धाम मंदिर के साथ नगर में हुए नुकसान की जानकारी लेने वह शनिवार तड़के जोशीमठ रवाना हो रहे हैं।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कनखल स्थित शंकराचार्य मठ में पत्रकारों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने पीड़ित-प्रभावित परिवारों को तत्काल सहायता देने की मांग की।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने त्रासदी को प्रकृति प्रदत्त होने की बात से इन्कार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह बिना पर्यावरण प्रभाव का आकलन के किए गए अनियोजित विकास कार्यों का परिणाम प्रतीत हो रहा है।