डीएम: जलसंरक्षण और पर्यावरण का ख्याल रखते हुए किए जाएं कृषि कार्य

रुद्रपुर: जल संरक्षण को लेकर संवाद कार्यक्रम में डीएम उदयराज सिंह ने कहा कि जल संरक्षण के साथ ही जीविकोपार्जन जरूरी है। ग्रीष्मकालीन धान की फसल उत्पादन से अत्यधिक जल दोहन हो रहा है। इससे भूमिगत जलस्तर लगातार घट रहा है। जल स्रोत सूख रहे हैं जो कि बेहद चिंतनीय है। कहा कि जल संरक्षण, प्राकृतिक स्रोत व पर्यावरण को ध्यान में रख कर कृषि के कार्य किए जाएं।

बृहस्पतिवार को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सभागार में डीएम ने कृषि वैज्ञानिकों, कृषि संगठनों, प्रगतिशील कृषकों के साथ संवाद किया। उन्होंने कहा कि कृषक ग्रीष्मकालीन धान की जगह गन्ना, मक्का, दलहन, जैसी फसलों के उत्पादन को बढ़ावा दें। कृषक व संगठन लिखित सुझाव भी रख सकते हैं। वैज्ञानिकों ने धान की फसल को उगाने के लिए धान की सीधी बुआई कर पानी खपत को कम करने की नई तकनीक बताई। दलहनी एवं तिलहनी फसलों, गन्ने की खेती, मैंथा एवं सूरजमुखी की फसलों को बढ़ावा देने पर चर्चा की। किसानों ने जनपद में गेहूं फसल की कटाई के तुरंत बाद धान की खेती पर रोक लगाने का सुझाव दिया। पंजाब, हरियाणा की तर्ज पर धान की रोपाई की तिथि निर्धारित करने का सुझाव दिया।

सीडीओ मनीष कुमार ने कहा कि समय-समय पर इस तरह के संवाद कार्यक्रम किए जाएंगे। किसान आयोग के उपाध्यक्ष राजपाल सिंह ने कहा कि ग्रीष्मकालीन धान के विकल्प के रूप में गन्ना, मक्का, दलहन, तिलहन का उत्पादन करने से जल, पर्यावरण बचा रहेगा। वहां अनुसंधान पंतनगर के निदेशक अजीत सिंह, आईआईआरआर हैदराबाद के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बृजेन्द्र, आर. महेन्द्र कुमार, आईआईटी रूड़की के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर आशीष पांडे, आईसीएआर लुधियाना के डॉ. एसबी सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक पंतनगर डॉ. एनके सिंह, डॉ. अमित भटनागर, डॉ. एस चौधरी, डीडीओ सुशील डोभाल, किसान बलविन्द्र सिंह, कुंवर पाल सिंह, दीपक गोस्वामी, अनिल दीप आदि थे।

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