देश में बीमा पर भरोसा करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी ,जाने कुल संख्या

भारतीय में बीमा व्यवसाय की शुरुआत लगभग दो शताब्दी पहले हुई थी। इसकी शुरुआत 1818 में हुई थी लेकिन पश्चिमी देशों के बीमा व्यवसाय जितना शक्तिशाली और लोकप्रिय होने के लिए इसे अभी लंबा रास्ता तय करना है।

 2032 तक भारत छठा सबसे बड़ा बीमा बाजार बन जाएगा। स्विट्जरलैंड के स्विस रे इंस्टीट्यूट के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था में तेज विस्तार और नियामकीय सुधारों से बीमा बाजार में मजबूती आएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले एक दशक में भारत का बीमा प्रीमियम औसत 14 प्रतिशत वार्षिक की दर से बढ़ेगा।

रिपोर्ट में बताया गया कि देश में कुल इंश्योरेंस प्रीमियम अगले 10 सालों तक 14 फीसद की दर से बढ़ सकते हैं। स्विस रे इंस्टिट्यूट ने आशा जताई कि इस साल देश की लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री 6.6 फीसदी की दर से और 2023 में 7.1 फीसदी की दर से बढ़ सकती है। पीटीआई के मुताबिक, स्विस रे इंस्टिट्यूट अपने लेटेस्ट नोट में उल्लेख किया है कि देश में इंश्योरेंस प्रीमियम औसत रूप से 14 फीसदी की दर से वृद्धि हो सकती है। वहीं, 2032 तक कुल प्रीमियम के मामले में भारत का इंश्योरेंस सेक्टर देश का छठवां सबसे बड़ा बाजार बन सकता है, फिलहाल यह दुनिया में 10वें नंबर पर है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 के अंत तक पहली बार भारत में लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम 100 बिलियन डॉलर (8,00,000 करोड़ रुपये) का आंकड़ा पार कर सकता है।

भारत में बीमा कराने वालों की संख्या में हो रही वृद्धि के कई कारण हैं। दुर्घटनाएं और मृत्यु जीवन चक्र का अनचाहा सच है, चाहे आप देश या दुनिया के किसी भी हिस्से में रहते हों। भारतीय में बीमा व्यवसाय की शुरुआत लगभग दो शताब्दी पहले हुई थी। इसकी शुरुआत 1818 में हुई थी, लेकिन पश्चिम में बीमा व्यवसाय जितना शक्तिशाली और लोकप्रिय होने के लिए इसे अभी लंबा रास्ता तय करना है। उदाहरण के लिए, यूएसए में स्वास्थ्य बीमा भारत में स्वास्थ्य बीमा की तुलना में बहुत अधिक कस्टमर ओरिएंटेड है। वहां बीमाकर्ता के प्रीमियम और लाभ को अधिक अहमियत दी जाती है।

क्यों जरूरी है बीमा कवरेज

शुरुआत में बीमा कराने को लेकर भारत में लोगों में हिचकिचाहट थी, लेकिन अब लोग धीरे-धीरे इसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं। भारत निस्संदेह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में से एक है, लेकिन दूसरी तरफ यह कई बीमारियों का घर भी है। साथ ही यहां दुर्घटनाएं भी अधिक होती हैं। ऐसे में जीवन की अनिश्चितताओं को देखते हुए बीमा पॉलिसीज की तरफ लोगों की रुचि बढ़ी है। दुर्घटनाओं की क्षतिपूर्ति और बीमारियों के इलाज की लागत आपकी जेब पर भारी पड़ती है। बहुत से लोगों को अपने नियोक्ता की तरफ से बीमा कवर मिलता है, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है। नियोक्ता का स्वास्थ्य लाभ या बीमा कवर केवल तब तक चलता है, जब तक आप कंपनी में काम कर रहे होते हैं। एक बार जब आप नौकरी छोड़ देते हैं तो आप सभी उससे जुड़े लाभ और कवरेज भी खो देते हैं।

बीमा कवरेज के लाभ

एक बीमा पॉलिसी विभिन्न कार्य करती है और आपके लिए कई तरह के लाभ प्रदन करती है। बीमा कवरेज नुकसान के अनचाही और मुश्किल परिस्थियों के प्रभाव को कम करता है। यह वित्तीय संकट के दौरान आपको आर्थिक राहत देता है। यह न केवल बीमाधारक को वित्तीय संकट से बचाता है बल्कि इससे उत्पन्न होने वाले मानसिक तनाव को भी कम करता है। बीमा कवरेज पॉलिसीधारकों को आश्वासन की भावना प्रदान करता है। बीमाधारक इस निश्चितता के लिए बदले अपनी कमाई का एक छोटा सा हिस्सा देता है। जिस तरह से बीमा पॉलिसी कार्य करती है, वह इसे एक सहकारी योजना का रूप दे देती है। एक बीमा कंपनी सामूहिक जोखिम और प्रीमियम के आधार पर काम करती है और यह जोखिम वाले लोगों को कवर करती है।

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